Gonda : वाहन स्वामी जेल में था निरुद्ध, गाड़ी का हो गया ट्रांसफर!
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। जिले के परसपुर थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने खुद को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजवाने के बाद उसकी बु्लेट मोटर साइकिल को विभागीय मिलीभगत से अवैध तरीके से अपने नाम कराने का आरोप लगाया है। क्षेत्र के साकीपुर निवासी विपिन शुक्ला पुत्र उमा शंकर शुक्ला ने अधिकारियों से शिकायत किया है कि उसके विरुद्ध दर्ज एक मुकदमे में स्थानीय थाने की पुलिस उसे पकड़ लाई। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक संदीप सिंह ने उसे मार-पीटकर कई सादे कागज, दस रुपए के स्टाम्प पेपर पर और एक सेल लेटर पर जबरन हस्ताक्षर करा लिया, जिसमें उसके नाम से रजिस्टर्ड बुलेट मोटर साइकिल नम्बर यूपी43एएस4147 को 20 फरवरी 2022 की तारीख में बेंचने का उल्लेख है। इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया। विपिन ने जब यह खबर अपने घर वालों को बताई तो वे हैरान हो गए और मोटर साइकिल छुड़ाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। उसकी पैरवी करने घर वाले थाने पर गए तो प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि विपिन ने अपनी बुलेट मोटर साइकिल मनोज पांडेय पुत्र आत्माराम पांडेय निवासी चरौंहा को बेंच दी है। जब उसके घर वालों ने परिवाद किया तो थाना प्रभारी ने कहा कि भाग जाओ। अन्यथा तुम्हें भी अंदर कर देंगे। परिजन जब मामले की जानकारी करने आरटीओ आफिस पहुंचे तो पता चला कि इस गाड़ी का स्वामित्व 23 फरवरी 2022 को दूसरे के नाम हो चुका है। जानकार बताते हैं कि वाहन स्वामी के पंजीयन अधिकारी/एआरटीओ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए बिना स्वामित्व ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, किन्तु विपिन के जेल में रहने की अवधि के दौरान उसकी गाड़ी का ट्रांसफर हो गया। पीड़ित इस मामले में न्याय पाने के लिए अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगा रहा है। हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर एआरटीओ बबिता वर्मा ने अलग जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि विक्रेता की तरफ से लगने वाले समस्त वांछित अभिलेख यथा आवश्यक मूल तथा छाया प्रति पत्रावली पर उपलब्ध हैं और पंजीयन अधिकारी उससे संतुष्ट है तो बिना विक्रेता को बुलाए भी स्वामित्व स्थानांतरण किया जा सकता है, किन्तु यदि पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों को देखकर किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न होता है तो विक्रेता को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रश्नगत प्रकरण में विभाग को शिकायत प्राप्त हुई है। जांच की जा रही है। पत्रावली पर विक्रेता की मूल आरसी समेत समस्त वांछित अभिलेख उपलब्ध हैं। इसके बाद भी यदि शिकायत कर्ता व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में आकर अपने आरोपों की पुष्टि के समर्थन में कोई महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध कराता है, तो उस पर विचार करते हुए टाइटिल ट्रांसफर की कार्रवाई निरस्त भी हो सकती है। जांच पूरी होने के उपरांत प्रकरण में विधिपूर्वक सम्यक निर्णय लिया जाएगा।
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जानकी शरण द्विवेदी
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