Gonda – आजादी के अमृत महोत्सव व 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर DM मार्कण्डेय शाही का संदेश

गोंडा । एक राष्ट्र के रूप में हमने भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों का सामाजिक, आर्थिक राजनैतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा व अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली बन्धुता बढ़ाने का संकल्प लिया है।

इसी उद्देश्य से हमने अपने संविधान को अधिनियमित कर अंगीकृत किया है।
हमने जिस संसदीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाया है उससे संप्रभुता जनता में हैं और यह जनता के लिए जनता का शासन है। कोई भी सुयोग्य व्यक्ति को जनता का नेतृत्व मिल सकता है।
हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का मार्गदर्शक हमारा संविधान है। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह कानून का पालन करे, संविधान का पालन करे, उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान का आदर करे। स्वतंत्रता के हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें। भारत की प्रभुता, एकता अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्य रखें। देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे। सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे। व्यक्तिगत व सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरन्तर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि नई ऊचाईयों को छू ले। परन्तु इन सबमें कानून का पालन, कानून का शासन, नियमानुसार कार्य करने, कराने की भावना इंटरलिंक्ड होनी चाहिए न कि दबाव समूह के रूप में नियम से हटकर कार्य कराने का दबाव।
देश की रक्षा करने का मतलब केवल सीमाओं पर लड़ना नहीं है, जो भी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का वहन व पालन कर रहा है, वह देश की रक्षा ही कर रहा है। जो सही टैक्स दे रहा है, जो सरकारी सेवा मेें अपना दायित्व ईमानदारी से निभा रहा है, जो मा0 जनप्रतिनिधि बिना किसी भेदभाव के या जो व्यापारी, किसान, प्रोफेशनल, शिक्षक, संगठित, असंगठित क्षेत्र के श्रमिक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, वो सभी देश हित/रक्षा का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारे द्वारा दिए गए करों का दुरूपयोग न हो। इसके साथ ही किसी भी जाति, धर्म, समूह, आर्थिक स्थिति, भाषा, प्रदेश, क्षेत्र, लिंग, अवस्था के बारे में टिप्पणी करना भी संविधान की मूल भावना के विपरीत है। समाज में समरसता बनाने, फेक न्यूज, सही तथ्य के विपरीत व सनसनीखेज न्यूज़ से विरत रहने की जिम्मेदारी मीडिया की भी है।
लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखना व लोकतंत्र की भावना का समावेश जग जीवन में होना चाहिए। यह जीवन की एक प्रणाली है। लोगों में स्वच्छाप्रेरति सहयोगात्मक कार्यों में जिससे वे मिलजुल कर अपनी समस्याओं का समाधान करते हैं और अपनी व्यवस्था का संचालन करते हैं। लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब लोग स्वेच्छा से प्रेरित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करें। जिन लोगों में अध्यवसाय व प्रेरणा शक्ति का परिचय दिया है, उनके देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल रही है।

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