देवताओं की दुनिया और भूतों के डेरे
अरविंद चतुर्वेद गांव में देवता तो गिनती के थे जो आज भी हैं, लेकिन हमारे बचपन में भूतों की भरमार थी। ऐसे में सहज ही जान सकते हैं कि देवताओं … Read More
अरविंद चतुर्वेद गांव में देवता तो गिनती के थे जो आज भी हैं, लेकिन हमारे बचपन में भूतों की भरमार थी। ऐसे में सहज ही जान सकते हैं कि देवताओं … Read More
हेमंत शर्मा मित्रवर शंभूनाथ शुक्ल जी की एक पोस्ट में बैरगिया नाले का ज़िक्र आया। तो बचपन याद आ गया। इस लम्बी कविता की दो-दो लाइनें हम अलग-अलग सन्दर्भो में … Read More
देव प्रकाश चौधरी छोटे से शहर में अक्सर प्यार की उम्र भी छोटी रह जाती है। जितनी गलियां, उतनी निगाहें। जगह-जगह झुंडों में अखबार पढ़ते लोग सुबह के अभिभावक और … Read More
देव प्रकाश चौधरी आचार्य जी ने पहले अपने योग्य शिष्य को देखा, फिर उसके हाथ में सुशोभित कद्दू को। सब्जी वाले के ठेले पर पड़े 11 में से एक कद्दू … Read More
संजय स्वतंत्र आज देना चाहता हूं तुम्हेंजिंदगी के पांच रंग,जानती हो न तुम,मैं अकसर क्यों तोड़ लाता हूंइंद्रधनुष तुम्हारे लिएअपनी कविताओं में? तो सुनो …श्यामल रंग प्रिय है मुझे,लेकिन इस … Read More
डा. माधव राज द्विवेदी सुदूर प्रवास के बाद प्रेमी युगल का जो मिलन होता है, वह अपूर्व आनन्द देने वाला होता है। यदि वह मिलन अचानक सम्पन्न होता है तो … Read More
श्वेता गोयल दीपान्विता, दीपमालिका, कौमुदी महोत्सव, जागरण पर्व में आधुनिक काल की फिल्मों ने भले ही दीवाली के प्रसंग को भुला दिया है लेकिन पुरानी फिल्मों में बताया गया दीपक … Read More
……….. ताज़ा ग़ज़ल बराय इसलाह…… देख के हमको झुंझला एकोई कमी जब ना पा ए हमने पूछा हाल कभीकुछ ना बोले शरमा ए जो नफ़रत की बात करे,किसके दिल को … Read More
साहित्य डेस्क ’आने वाली नस्लें तुम पर रश्क करेंगी हमअस्रों, जब ये ख्याल आयेगा उनको, तुमने फ़िराक़ को देखा था…।’ फ़िराक गोरखपुरी की बड़ी शख्यियत को बयां करती ये लाइनें … Read More