Bahraich News: बाढ़ पीड़ितों के स्वास्थ्य पर रखें नजर फ्रंटलाइन वर्कर-CMO

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खतरनाक बीमारी के फैलने का खतरा ज्यादा

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

संवाददाता

बहराइच। बाढ़ प्रभावित गांवों के फ्रंट लाइन वर्कर अपने क्षेत्र में ही रहकर लोगों के स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखें। उनके सहयोग के लिए प्रशासन द्वारा नावों व एम्बुलेंस की ड्यूटी लगाई गई है। जीवन रक्षक दवाएं और एएसवी भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। किसी भी विपरीत परिस्थिति की सूचना तत्काल अपने अधिकारी को दें। कुछ इस तरह का निर्देश दिया मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके सिंह ने। बाढ़ प्रभावित गांवों के फ्रंट लाइन वर्कर अपने क्षेत्र में ही रहकर लोगों के स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखें। उनके सहयोग के लिए प्रशासन द्वारा नावों व एम्बुलेंस की ड्यूटी लगाई गई है। जिससे किसी का जीवन खतरे में ना पड़े। जीवन रक्षक दवाएं और एएसवी भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। किसी भी विपरीत परिस्थिति की सूचना संबन्धित अधिकारियों को तुरंत उपलब्ध कराएं, जिससे समय रहते पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। सीएमओ डॉ एसके सिंह ने बाढ़ राहत के संबंध में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी तथा स्वास्थ्य कर्मियों को कई निर्देश दिए। उन्होंने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी तथा स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देश दिया है कि गांव में बाढ़ का पानी भरे होने की स्थिति में यदि किसी व्यक्ति की तबीयत खराब होती है या उसे तेज बुखार हो तो वहां की आशा तुरंत उसे नाव से सड़क तक लाएंगी। वहां से एम्बुलेंस के माध्यम से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में उस व्यक्ति का इलाज कराया जाए। सीएमओ ने कहा यदि बाढ़ के करण की वजह से आशा स्वास्थ केन्द्र तक नहीं पहुंच पा रही है तो उसके गांव में नाव के सहारे जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध करायी जाय।

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सीएमओ ने बताया कि मरीज को अत्यधिक तेज बुखार होने पर नजदीकी ईटीसी (इनसेफ़लाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर) वार्ड में उसका उपचार कराया जाए। इसके लिए उन्होने ईटीसी वार्ड के प्रभारियों को निर्देशित किया है कि वार्ड में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त रखें तथा 24 घंटे इमरजेंसी वार्ड की तरह ही उसका संचालन प्रोटोकॉल के अनुसार करें। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने बताया कि बाढ़ के दौरान लोग नदी, तालाब, नहर व जलभराव वाले स्थानों पर मछली पकड़कर झोले में रखकर बेंचते है। ऐसी बासी मछलियों को खाने से स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इसलिए इस प्रकार की मछिलयों का सेवन ना करें। एसीएमओ डॉक्टर जयंत कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को पानी सीधे पीने के बजाए उबाल कर पीना चाहिए। पीने से पहले 20 लीटर पानी में क्लोरीन की एक गोली मिला लें। ऐसा करने से संक्रामक बीमारी से बचा जा सकता है। इस दौरान तालाब, पोखरे व गंदे कुएं का पानी ना पिएं। पीने के पानी के आसपास गंदगी ना जमा होने दें। उन्होने बताया गरम ताजा व पचने योग्य भोजन ही करें। उल्टी दस्त से पीड़ित व्यक्ति के मल मिट्टी या राख से ढंक दें जिससे मक्खी ना बैठ सके। खाना बनाने,खाने से पहले व शौच के बाद हाथ साबुन से घुलें। यदि कोई बच्चा उल्टी दस्त से पीड़ित हो तो ओआरएस का एक पैकेट एक लीटर साफ पानी में घोलकर तुरंत पिलाना शुरू करें। ओआरएस का पैकेट आशा, एएनएम व सभी सरकारी अस्पतालों पर निःशुल्क उपलब्ध है, पैकेट खोलने से पहले एक्सपायरी डेट अवश्य देख लें। अधिक पतला मल होने, बार बार उल्टी होने, अत्यधिक प्यास लगने, पानी ना पी पाने, बुखार होने व मल में खून आने पर आशा, एएनएम व नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में सम्पर्क करें।

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