हिंदी का सूर्य कभी अस्त नहीं होता-सरन घई
कनाडा में कवि सम्मेलन व कवि सम्मान समारोह सम्पन्न
इंटरनेशल डेस्क
ब्रैम्प्टन (कनाडा)। कोरोना के कारण उत्पन्न स्थिति में लगभग ढ़ाई वर्ष के अंतराल के बाद स्थानीय गोर-मीडोज़ कम्युनिटी सेंटर में विश्व हिंदी संस्थान (कनाडा) के नियमित कार्यक्रमों के अंतर्गत एक कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें तीस से ऊपर कवियों ने भाग लिया। यह जानकारी देते हुए विश्व हिंदी संस्थान कनाडा के अध्यक्ष सरन घई ने बताया कि कवि सम्मेलन के प्रारंभ में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत सरोज भटनागर को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये और दीप जलाकर सरस्वती वंदना की गई। कवि सम्मेलन के अतिरिक्त इस कार्यक्रम की एक उल्लेखनीय विशेषता उपस्थित सभी कवियों का सम्मान किया जाना रहा। इस अवसर पर यह गौरवपूर्ण सम्मान विश्व हिंदी संस्थान के स्थापना दिवस पर संस्था द्वारा घोषित ’साहित्यकार सम्मान दिवस’ के रूप में मनाये जाने के उपलक्ष्य में ससम्मान भेंट किया गया। उन्होंने कहा कि हम लोग अपने जीवन में कई प्रकार के दिवस मनाते हैं जिनमें अंतर्राष्ट्रीय काव्य दिवस भी शामिल है, लेकिन कभी कोई ’साहित्यकार दिवस’ नहीं मनाता है। ऐसे में कविता प्रमुख और कवि गौण हो जाता है। उधर फ़िल्मों की बात करें तो नामावली में सबसे पहले फ़िल्म के नाम के साथ प्रोड्यूसर का नाम आता है। फ़िल्म की कहानी के रचनाकार का नाम आठवें-दसवें स्थान पर जबकि कहानी उसी ने लिखी है। यही हाल फ़िल्मी गीतों का है। गीत तो सब गुनगुनाते हैं, संबंधित फ़िल्म और गायक-गायिका को भी पहचानते हैं, संगीतकार को भी अधिकतर लोग जानते हैं लेकिन गीतकार का नाम बमुश्किल अंगुलियों पर गिनने वाले लोग ही जानते हैं। विश्व हिंदी संस्थान का यह मत और प्रयास है कि सबसे पहले साहित्यकार का नाम होना चाहिये और सर्वाधिक सम्मान का पात्र भी लेखक या कवि ही होना चाहिये।
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इस अवसर पर मुख्य अतिथि, भारतीय राजदूतावास से राजदूत अपूर्वा श्रीवास्तव किसी विशेष कारण से नहीं पहुँच पायीं, लेकिन उनके द्वारा नामित प्रेस इन्फ़ोर्मेशन एवं कम्युनिटी वैलफ़ेयर काउंसिल धीरज पारिक ने मुख्य अतिथि का पदभार ग्रहण कर सभी कवियों को अपने कर कमलों से सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैलाश भटनागर ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत से पधारे जाने-माने कवि विनोद भल्ला उपस्थित थे। कवि सम्मेलन में डा. कैलाश भटनागर, विनोद भल्ला, आचार्य संदीप त्यागी, प्रो. साधना जोशी, सविता अग्रवाल, भगवत शरण श्रीवास्तव, गोपाल बघेल, पाराशर गौड़, हर भगवान शर्मा, ऋचा बघेल, राज महेश्वरी, मीना चोपड़ा, स्नेह सिंघवी, श्यामा सिंह, निर्मल सिद्धू, रीनू शर्मा, संजीव अग्रवाल, युक्ता लाल, रवि लाल, मीता खन्ना, रमन सुखवाल, आभा गुप्ता, अजय गुप्ता, सुमन मेदीरत्ता आदि ने काव्य वाचन किया। इस अवसर पर सरस्वती वंदना रवि लाल ने की और अफ़रोज साहब (जिनके बड़े भाई ने महाभारत में अर्जुन की भूमिका निबाही थी) ने महाभारत के शानदार ढंग से डायलाग सुनाये। अरव घई व अभिनव घई ने कार्यक्रम की फ़ोटोग्राफ़ी का भार संभाला। रीटा घई व अंकिता घई ने कार्यक्रम के उपसंहार में भोजन की व्यवस्था को संभाला। सरन घई व साधना जोशी जी ने संचालक की भूमिका निबाही। जिन कवियों व कहानीकारों ने चतुष्पदियां व कहानी ’अंततः उसने उसी गोल गप्पे वाले से शादी कर ली’ लिखकर भेजी, उन सबको तथा कनाडा से बाहर भारत या अन्य देशों में रह रहे संस्था से पांच वर्ष से अधिक समय से जुड़े साहित्यकारों को भी फ़ेसबुक के माध्यम से सम्मान पत्र “सार्वभौमिक साहित्यकार सम्मान” द्वारा विभूषित करने का निश्चय किया है। इनके अतिरिक्त कनाडा में रह रहे लेकिन कवि जो सम्मेलन में व्यक्तिगत व्यस्तताओं के चलते शामिल नहीं हो सके, उन्हें भी सम्मानित करने की व्यवस्था की है। इस प्रकार विश्व हिंदी संस्थान द्वारा “साहित्यकार सम्मान दिवस” की स्थापना के अवसर पर संस्था से जुड़े विश्व के लगभग 125 से अधिक साहित्यकारों को सम्मानित करने का महती उपक्रम करने की व्यवस्था की गयी है। इसके अतिरिक्त संस्था द्वारा यह भी प्रस्तावित किया गया है कि विश्व भर के सभी संस्था संचालकों से अनुरोध किया जाय कि वे भी अपनी-अपनी संस्था के स्थापना दिवस को “साहित्यकार सम्मान दिवस” के रूप में मनाकर संस्था से जुड़े सभी साहित्यकारों का सम्मान करें।
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जानकी शरण द्विवेदी
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