हमीरपुर के बीहड़ में बसे गांवों में जलसंकट

प्यास बुझाने को बैलगाड़ी और साइकिल से ढो रहे पानी

हमीरपुर (हि.स.)। जिले में बीहड़ में बसे तमाम गांवों में इन दिनों पानी के लिए लोग परेशान हैं। गांव की महिलाओं और पुरुषों को कई किमी दूर कुएं से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। सुबह से ही ग्रामीण साइकिल और अन्य साधनों से पानी के जुगाड़ में लग जाते हैं जबकि साधन विहीन तमाम लोग पैदल ही सिर बर्तन रखकर पानी लाने को मजबूर हैं। कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां लोग बैलगाड़ी से पानी ढो रहे हैं।

हमीरपुर जिले के मौदहा क्षेत्र के तमाम गांव बीहड़ इलाके में बसे हैं जहां पानी के जुगाड़ में ग्रामीणों को कई किमी दूर तक जद्दोजहद करनी पड़ती है। पड़ोसी बांदा जिले की सीमा के पास बसे कपसा, छानी, बक्छा, गुसियारी, रतवा, नायकपुरवा समेत तमाम गांव ऐसे हैं जहां लोग कई दशकों से शुद्ध पेयजल के लिए लोग तरस रहे है। बीहड़ के आधा दर्जन गांवों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए विश्वबैंक की मदद से केन नदी के पास भूरागढ़ में करोड़ों रुपये की लागत से एक ग्राम समूह पेयजल योजना जमीन पर दौड़ाई गई थी लेकिन धरातल पर आने के कुछ ही समय बाद वह फेल हो गई।

जलनिगम ने डेढ़ दशक पहले एक करोड़ से अधिक लागत की कपसा, गुसियारी में पानी पहुंचाने के लिए सिजवाही ग्राम समूह पेयजल शुरू कराई थी। इसके लिए तीन नलकूप बनाए गए। पानी की टंकी बनाकर कपसा गांव तक जलापूर्ति की कवायद की गई लेकिन गुसियारी गांव में लोगों को इस योजना से पानी नहीं मिल सका। कपसा गांव के ही ग्रामीण सुबह से ही पीने के पानी के लिए कई किमी दूर पैदल निकल पड़ते हैं। महिलाएं भी घर से पानी के लिए सुबह से ही कुएं में लाइन में लग जाती हैं। गौरतलब है कि जल जीवन मिशन के तहत जिले में 330 गांवों के लिए शुरू की गई पेयजल की परियोजनाएं भी समस्याग्रस्त गांवों को अभी तक जलापूर्ति नहीं कर सकीं।

बीहड़ के कुएं में पानी भरने को ग्रामीणों का लगता है मेला

क्षेत्र के कपसा गांव से कुछ किमी दूर जंगल में एक प्राचीन कुआं है जिसका पानी मीठा है। कपसा समेत कई गांवों में खारा पानी होने के कारण पूरा गांव इसी कुएं से प्यास बुझाने को मजबूर है। क्षेत्र के समाजसेवी एमडी प्रजापति ने बताया कि कपसा और गुसियारी समेत कई गांवों में पानी का संकट ज्यादा है। महिलाएं और पुरुष सुबह से ही साइकिल और अन्य साधनों से पानी ढोने के लिए घर से निकल पड़ते हैं। कुएं में प्रतिदिन मीठा पानी लेने के लिए गांवों के लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। नदी से भी ग्रामीण साइकिल और अन्य साधनों से पानी ढोकर घर लाते हैं।

पेयजल योजनाएं भी बीहड़ के गांवों को नहीं दे सकीं पानी

मौदहा क्षेत्र के कपसा गांव में दो करोड़ रुपये से पेयजल योजनाएं शुरू की गई लेकिन ग्रामीणों की इससे प्यास नहीं बुझ सकी। पानी की समस्या वाले गांवों में काम देखने वाले जलनिगम के अभियंता रामरतन ने बताया कि नायकपुरवा में चार करोड़ रुपये की लागत से पेयजल योजनाएं तैयार कराई गई हैं, वहीं गुसियारी गांव में तीन करोड़ रुपये से पेयजल योजनाएं शुरू हुई थीं। उन्होंने बताया कि पेयजल योजनाओं के निर्माण के दौरान नलकूप की बोरिंग कई बार फेल हो चुकी है। अब ग्रामीण इलाकों की ये पेयजल योजनाएं अधिशाषी अभियंता ग्रामीण महोबा के अधीन है।

पंकज/सियाराम

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