सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौतों पर गंभीर चिंता जताई
– कोर्ट ने कहा, कार्य के दौरान मौत होने पर परिजनों को दिया जाए 30 लाख रुपये मुआवजा
– केंद्र और राज्य सरकारों को हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह से खत्म करने की सलाह
नई दिल्ली(हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौतों पर गंभीर चिंता जताई है। जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सीवर सफाई के दौरान मौत होने पर परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। इसके अलावा सीवर सफाई के दौरान स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह से खत्म हो जाए।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी एजेंसियों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों। याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारें मैला ढोने वालों और सीवर सफाई में काम करने वाले लोगों की वास्तविक संख्या बताए। याचिका में मांग की गई थी कि 1993 से लेकर अब तक ऐसे मामलों में मृत लोगों की संख्या बताई जाए, ताकि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज की जा सके। याचिका में सिर पर मैला ढोने और सीवर में काम के लिए रखने वाली एजेंसियों, ठेकेदारों और दूसरे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की भी मांग की गई थी।
संजय/संजीव/सुनीत