सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम के बिना चलने वाली कम्बाइन मशीनें होगीं सीज

हर कम्बाइन के साथ कृषि विभाग के एक-एक कर्मी की लगेगी डयूटी

एनजीटी के निर्देशों को सख्ती से हो अनुपालन, फसल अवशेेष न जलाएं किसान: डीएम

संवाददाता

गोण्डा। फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर या स्ट्रा रेक एवं बेलर का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए तथा आदेश का अनुपालन न करने वाले कम्बाइन हार्वेस्टर को सीज कर कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। यह निर्देश जिलाधिककारी डाॅ0 नितिन बंसल ने कलेक्ट्रेट सभागार में फसल अवशेष न जलाने के सम्बन्ध मंें आयोजित बैठक में कम्बाइन मालिकों व कृषि विभाग के अधिकारियों को दिए हैं।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि जनपद में चलने वाली प्रत्येक कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ कृषि विभाग का एक कर्मचारी नामित किया जाय, जो अपनी देखरेख में कटाई कार्य कराए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कोई भी कम्बाइन, सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर अथवा स्ट्रा रेक एवं बेलर के बगैर चलती हुई पायी जाय तो तत्काल उसे सीज कर दिया जाय तथा कम्बाइन मालिक के स्वयं के खर्चे पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम लगवाकर ही छोड़ा जाय। बैठक में उपनिदेशक कृषि डा. मुकुल तिवारी ने डीएम को अवगत कराया कि विगत वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनपद में कुल 38 फसल अवशेष जलाने की घटनायें हुयी थी, इसमें से सर्वाधिक 06 घटनायें तहसील मनकापुर अन्तर्गत छपिया ब्लाक के मसकनवा क्षेत्र में हुयी थी। भारत सरकार द्वारा प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इनसीटू मैनेजमेन्ट आफ क्राप रेज्ड्यू योजनान्तर्गत ग्राम पंचायतों को अनुदान पर फार्म मंशीनरी बैंक स्थापना हेतु (रुपया पांच लाख तक की परियोजना) यंत्र उपलब्ध कराने की योजना है। इनसीटू योजनान्तर्गत सुपर स्ट्रा मैनजमेन्ट सिस्टम, कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ पैडी स्ट्राचापर, थ्रेडर, मल्चर, श्रव मास्टर, जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल, सुपर सीडर, क्राप रीपर, हैप्पी सीडर आदि कृषि यंत्रों पर रूपया 5 लाख तक की सीमा पर यंत्र क्रय करने पर अनुदान ग्राम पंचायत के खातें में दिया जायेगा।
जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिन ग्रामों में विगत वर्ष मंे फसल अवशेष जलाने की घटना हुयी थी, उनमें विशेष रूप से ग्राम प्रधान के साथ कृषि विभाग, राजस्व विभाग के साथ पंचायत विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों को भेजकर गोष्ठी का आयोजन कर व्यापक प्रचार-प्रसार करायें। अन्य सभी क्षेत्र में भी जनपद स्तर, विकास खण्ड स्तर पर योजना का प्रचार-प्रसार कर, कृषकों को इस बात के लिये प्रेरित किया जाये कि वह फसल अवशेष में आग न लगायें, क्योंकि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति घटती है और पर्यावरण प्रदूषित होता है। फसल अवशेष जलाने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा फसल अवशेष जलाने पर 02 एकड़ तक ढाई हजार रूपए, 05 एकड़ तक 05 हजार रूपए एवं 05 एकड़ से अधिक भूमि पर 15 हजार रूपए का जुर्माना निर्धारित किया है। घटनाओं की पुनरावृत्ति होने पर कारावास के साथ-साथ अर्थदण्ड भी लगेगा। बैठक में डीडी एग्रीकल्चर डा. मुकुल तिवारी, जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव, भूमि संरक्षण अधिकारी सदानन्द चैधरी, एलडीएम, नाबार्ड के अधिकारी, एडीपीआरओ, तथा कम्बाइन मालिक व ग्राम प्रधान उपस्थित रहे।

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