साल भर में तीन तलाक के 15 मुकदमे दर्ज, 14 में लग चुकी है चार्जशीट
संवाददाता
गोण्डा। केन्द्र सरकार द्वारा तीन तलाक पर कानून बनाने को आज एक साल पूरा हो गया। इस कानून के बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को काफी राहत मिली। सरकार के सख्त कानून के कारण लोगों में थोड़ा डर पैदा हुआ। परिणाम स्वरूप एक साथ तीन बार तलाक बोलकर घर से बेदखल कर दी जाने वाली महिलाओं को जिंदगी जीने की आशा बलवती हुई। बीते एक वर्ष के अंदर जिले के महिला थाने में तीन तलाक के 15 मुकदमे दर्ज हुए, जिसमें से अब तक 14 मामलों में पुलिस आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।
महिला थाने के प्रभारी संजय कुमार बताते हैं कि तीन तलाक पर केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाए जाने के बाद ऐसे मामलों में काफी कमी आई है। मुस्लिम महिलाओं में इसके लिए जागरुकता भी बढ़ी है। प्रशासन की तरफ से भी मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। महिला थाने की उपनिरीक्षक परवीन सुल्तान ने बताया कि पिछले तीन महीने में तीन तलाक का सिर्फ एक मामला आया है। फोन व वाट्सएप से तीन तलाक के मामले में काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि तरबगंज के ढ़ोढ़ेपुर निवासी ताज मोहम्मद मालदीव में रहते हैं। उनका पत्नी आमिना से विवाद है। ऐसे में उन्होंने दो बार में पत्र भेजकर तीन तलाक दिया। नगर कोतवाली के तोपखाना में घर पर आकर नगमा को तीन तलाक के मामले में पुलिस जांच कर रही है। छपिया के एक युवक ने दहेज उत्पीड़न के मामले की पैरवी करने आई पत्नी को कचहरी गेट पर ही तलाक बोल दिया था, इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। राज्य हज कमेटी के प्रशिक्षक कसीम सिद्दीकी का कहना है कि तीन तलाक के मामले में कानून बनने के बाद काफी कमी आई है, लोगों में कानून का डर दिख रहा है। मुस्लिम महिलाओं में कानून को लेकर जागरुकता भी आई है।