सालाना 4.15 लाख लोगों को यात्रा कराएगा कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट
– बौद्ध देशों से 3.15 लाख व खाड़ी देशों से एक लाख सैलानियों के आवागमन की उम्मीद
कुशीनगर (हि.स.)। कोविड-19 से पूरी तरह उबरने और नियमित उड़ान का दौर शुरू हो गया तो केवल बौद्ध देशों से 3.15 लाख सैलानी कुशीनगर स्थित महा परिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की प्रतिमा के दर्शनों को आयेंगे। खाड़ी देशों से एक लाख यात्रियों के आवागमन का अनुमान है। यानी एक वर्ष में कुल 4.15 लाख यात्री कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से आवागमन कर सकेंगे।
केंद्र व राज्य सरकार इसी योजना पर कार्य कर रही है। 20 अक्टूबर को नवनिर्मित कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में श्रीलंका के डेलिगेशन व और 13 देशों के राजनयिक दल को शामिल किया जाना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। भारत सरकार की टाप टेन सूची में चीन, जापान,थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार, श्रीलंका, साउथ कोरिया, ताईवान, कंबोडिया व भूटान शामिल हैं।
पर्यटन उद्यमियों का भी मानना है कि इन बौद्ध देशों में से कम से कम सात देशों से प्रतिदिन एक उड़ान भी आई तो अनुमानित संख्या पूरी हो जायेगी। सरकार की योजना सात बौद्ध देशों से प्रतिदिन 300 यात्रियों की एक उड़ान पांच माह तक कराने की है। दरअसल कुशीनगर का पर्यटन सीजन अक्टूबर से मार्च तक मात्र छह माह का है। परन्तु सरकार इस सीजन को पांच माह का ही मानकर चल रही है। इसके अतिरिक्त खाड़ी देशों से भी एक लाख यात्रियों के आवागमन की सम्भावना है। एयरपोर्ट का यूपी- बिहार की सीमा पर स्थित होने से इस सम्भावना को बल मिल रहा है।
एयरपोर्ट पूर्वांचल के 13 जिलों व पश्चिमी बिहार के 10 जिलों के मध्य में स्थित है। इन जिलों के कई लाख लोग खाड़ी देशों में कार्यरत है। एयरपोर्ट के निर्माण के शुरुआती दौर में मध्यस्थ कंपनी आईएलएफएस इंफ्रा ने एक सर्वे में एक लाख लोगों के आवागमन करने का अनुमान लगाया था। एयरपोर्ट के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर और अब नेशनल टीम मेम्बर स्मार्ट सिटी मिशन, शहरी आवास दिल्ली विकास चंद्रा के मुताबिक
यह कोई जादुई आंकड़ा नहीहै। कुशीनगर में एयरपोर्ट निर्माण की परिकल्पना का यही आधार ही है। प्रमुख पर्यटन कारोबारी पंकज सिंह का कहना है कि सैलानियों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है। दरअसल, लम्बी दूरी की थकान भरी यात्रा सभी पर्यटकों को निराश कर देती है। सीनियर सिटीजन व वीआईपी तो यात्रा में लगने वाले समय के कारण नहीं आना चाहते। ऐसे में बौद्ध देशों के सैलानियों के लिए एयरपोर्ट वरदान की तरह कार्य करेगा।