सारे रिकार्ड तोड़ चुकी है बिजली की मांग, फिर व्यवस्था में नहीं आया व्यवधान

– आधे से ज्यादा ट्रांसफार्मर पूरा कर चुके हैं अपना जीवन, उन्हें बदलने की जरूरत

लखनऊ (हि.स.)। प्रदेश में बढ़ती गर्मी के साथ ही बिजली की मांग भी लगातार बढ़ रही हैंं। आजादी के बाद से प्रदेश में सबसे ज्यादा पिछले वर्ष 26589 मेगावाट बिजली की मांग का भी रिकार्ड तोड़ते हुए 10 जून को 26672 मेगावाट तक पहुंच गया। इसे अभी अभी 28 हजार मेगावाट के पार चले जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में पुराने ट्रांसफार्मर और रिपेयरिंग के काम में गड़बड़ी भी सामने आ रही हैं, जिससे आये दिन ट्रांसफार्मर जलने की समस्या पूरे प्रदेश में देखने को मिल रही हैं।

जानकारों का कहना है कि ट्रांसफार्मर रिपेयरिंग करने की भी एक सीमा होती है। पचास प्रतिशत से ज्यादा ट्रांसफार्मर उस सीमा को पार कर गये हैं। ऐसे में उन्हें रिपेयरिंग कराने के बावजूद वे सही से नहीं चल पाते हैं और कम समय में ही फूंक जाते हैं। इस कारण लोकल फाल्ट की भी समस्या आ रही है। जो भी ट्रांसफार्मर अपने जीवन को पूरा कर चुके हैं, उन्हें जल्द बदलने की जरूरत है। उनको बदलने के बाद ही जल्द ट्रांसफार्मर जलने की समस्या से निजात मिल सकती है।

उत्तर प्रदेश पाॅवर ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पहले तो अधिकारी और कर्मचारी बधाई के पात्र हैं, जो अधिकतम बिजली की मांग के बावजूद सप्लाई व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में समर्थ हुए। यह उनके अथक परिश्रम का ही परिणाम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बिजली व्यवस्था में कोई परेशानी न हो, इसके लिए शासन स्तर से अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर पर रोक लगानी चाहिए। इससे व्यवस्था में व्यवधान आ सकता है।

वर्तमान में पावर ऑफिसर ऑफिसर एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने जल रहे वितरण ट्रांसफार्मर पर भी विचार विमर्श किया। इसका एक मुख्य कारण यह सामने आया कि वर्तमान में पूरे प्रदेश में वर्कशॉप में रिपेयरिंग के बाद जो ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं। उनकी क्वालिटी उच्च गुणवत्ता की नहीं है। ऐसे में ऐसे ट्रांसफार्मरों को चिन्हित कर उन्हें सिस्टम से बाहर करना पड़ेगा और उसके स्थान पर नए ट्रांसफार्मर की व्यवस्था करना पड़ेगा। इससे विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा और आर्थिक नुकसान से भी बचत होगी।

उपेन्द्र/मोहित

error: Content is protected !!