साढ़े चार साल में ‘संस्कृत’ के प्रचार-प्रसार में उप्र ने गढ़े कीर्तिमान

– सरकार की पहल पर उप्र संस्कृत संस्थान ने भाषा को जन-जन तक पहुंचाया

– सरल संस्कृत सम्भाषण शिविर और मिस्डकॉल योजना से युवाओं में बढ़ा संस्कृत का क्रेज

लखनऊ(हि.स.)। राज्य सरकार का दावा है कि अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में उप्र में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के साथ संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने और बोलचाल की भाषा के रूप में विकसित करने के बड़े प्रयास किये गए हैं।

गौरतलब है कि 19 मार्च, 2017 में प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के साथ ही उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान को संस्कृत भाषा को जन-जन पहुंचाने का लक्ष्य दिया। इसको धरातल पर उतारने का काम किया गया।

राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार संस्थान ने वर्ष 2018-19 में सरल संस्कृत सम्भाषण शिविर योजना शुरू की। कानपुर, मथुरा, गोरखपुर, वाराणसी, मेरठ एवं लखनऊ में 531 प्राथमिक विद्यालय, 656 माध्यमिक, 181 सार्वजनिक संस्थाओं, 91 महाविद्यालयों, 175 संस्कृत महाविद्यालयों सहित कुल 1634 विद्यालयों में 40 हजार 850 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रदेश में सरल संस्कृत सम्भाषण योजाना से जवाहर नवोदय विद्यालय में संस्कृत प्रशिक्षण दिया गया।

प्रवक्ता ने बताया कि संस्थान की मिस्डकॉल योजना के माध्यम से संस्कृत सम्भाषण योजना में रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। संस्थान ने योग, पौरोहित्य, ज्योतिष प्रशिक्षण शिविर योजना, प्रत्येक जनपद में वास्तु एवं ज्योतिष प्रशिक्षण शिविर, पुरस्कार योजना, व्याख्यान गोष्ठी योजना और एकमासात्मक नाट्य प्रशिक्षण योजना से संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया।

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