सरस्वती नदी नहीं, बल्कि ज्ञान की धारा है – जलशक्ति मंत्री

लखनऊ(हि.स.)। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि सरस्वती नदी नहीं, बल्कि ज्ञान की धारा है। सरस्वती की जलधारा से प्रयागराज में गंगा और यमुना की धारा मिलने पर सुंदर संगम होता है। प्रयागराज के संगम में स्नान करने से लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती है।

सीएसआईआर के एसएच जैदी ऑडिटोरियम में जलशक्ति मंत्री ने सरस्वती नदी की महिमा बताते हुए कहा कि कानपुर से प्रयागराज के बीच दो सौ किलोमीटर सर्वे में अति प्राचीन नदी सरस्वती के अवशेष पाए गए हैं। भू-गर्भ विभाग के अनुसार सरस्वती नदी को विलुप्त कहा जाता है। ज्ञान की धारा स्वरूपा इस नदी के भूमिगत मानचित्र की प्रस्तुति कर सीएसआईआर ने अपनी रिपोर्ट में बहुत तथ्यात्मक जानकारी दी है। मानचित्र के अध्ययन से सरस्वती नदी की वस्तुस्थिति का पता चलता है।

इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री ने गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र के जल चित्रण और विलुप्त नदी सरस्वती के भूमिगत मानचित्र की रिपोर्ट का अनावरण किया। स्वतंत्रदेव सिंह के साथ सीएसआईआर से जुड़े अधिकारीगण डाॅ.भाष्कर नारायण, डाॅ.वीरेन्द्र एम तिवारी, बी.के.उपाध्याय मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

शरद/सियाराम

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