समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति के लिए घातक : राष्ट्र सेविका समिति
लखनऊ(हि.स.)। राष्ट्र सेविका समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति के लिए घातक है। समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका को निपटाने के लिए जिस प्रकार की जल्दबाजी की जा रही है, वह किसी भी तरह से उचित नहीं है। यह नए विवादों को जन्म देगी।
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के विरोध में राष्ट्र सेविका समिति की बहनों ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार को राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
राष्ट्र सेविका समिति की प्रान्त कार्यवाहिका यशोधरा ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि यदि समलैंगिक विवाह की अनुमति दी गई, तो कई प्रकार के विवाद उत्पन्न होंगे। इसके अलावा समलैंगिक संबंध वाले अपने आप को लैंगिक अल्पसंख्यक घोषित कर अपने लिए विभिन्न प्रकार के आरक्षण की मांग भी कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक सभ्यता पर सदियों से निरन्तर आघात हो रहे हैं, फिर भी अनेक बाधाओं के बाद भी वह बची हुई है। अब स्वतंत्र भारत में इसे अपनी सांस्कृति जड़ों पर पश्चिमी विचारों, दर्शनों एवं प्रथाओं के अधिरोपण का सामना करना पड़ रहा है, जो इस राष्ट्र के लिये व्यवहारिक नहीं है।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मनोरमा, कंचन, सीमा, दीपमाला, रेखा, वंदना, दीप्ती, सुषमा, मीना व शिवानी उपस्थित रहीं।
बृजनन्दन