‘सब्जी की खेती’ से किसानों की बदलेगी ‘तकदीर’
गोरखपुर (हि.स.)। सब्जी की खेती से अन्नदाता किसानों की तकदीर बदल सकती है। किसानों को अपनी परम्परागत खेती से हटाकर बस सब्जी की खेती में ध्यान देने की जरूरत है।
फरवरी-मार्च में जायद की फसलों की बुआई शुरू होती है। इस सीजन सब्जी की खेती कर किसान अच्छा फायदा कमा सकते हैं। इन दोनों महीनों अर्थात फरवरी से मार्च के बीच प्रमुख रूप से खीरा, ककड़ी, करेला, लौकी और तरोई के सब्जियों की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है। बस थोड़ा सा ध्यान देने और वैज्ञानिकों के सुझाये गए उपायों को अपनाकर किसान अपनी तकदीर संवार सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आदित्य कुमार द्विवेदी बताते हैं कि आलू और सरसों की फसल से खाली हुए खेत में सब्जियों की बुआई की जा सकती है। हालांकि, अलग-अलग सब्जियों की खेती के लिए खेत को अलग तरीके से तैयार करना पड़ेगा।
खीरा व ककड़ी बोयें किसानखेत की दो से तीन जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बनाएं। फिर खीरा और ककड़ी की बुआई करें। खीरे की बुआई क्यारियों के अंदर कतार में करने से अधिक फायदा मिलेगा।
इतनी रखें दूरी, इसका रखें खयालकतार से कतार की दूरी 1.5 मीटर रखें। पौधे से पौधे की दूरी एक मीटर रखना बेहतर होगा। बुआई के 20 से 25 दिन के अंदर निराई-गुड़ाई करें। तापमान बढ़ने पर हर सप्ताह हल्की सिंचाई करते रहें।
यह है बीज की मात्राककड़ी की बुआई के लिए एक एकड़ खेत में एक किग्रा बीज की जरूरत होती है। इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जाता है। बुआई से पहले कम से कम तीन बार खेत की जुताई करें। अंतिम जुताई के समय मिट्टी में गोबर की खाद मिला दें। दो-दो मीटर क्यारियां बनाकर कतार में बुआई करें। पौधे से पौधे और कतार से कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें।
करेला भी है लाभदायकहल्की दोमट मिट्टी करेले की फसल के लिए उपयुक्त है। 2.5 से पांच मीटर की दूरी पर करेले के बीज बोने चाहिए। बुआई से पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। अंकुरण जल्दी और अच्छा होगा। नदी के किनारे की भूमि करेले की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
हर तरह की मिट्टी पर उगेगी लौकीकरेले की तरह ही लौकी की खेती भी हर तरह की मिट्टी में होती है। एक हेक्टेयर खेत में 4.5 किग्रा बीज की जरूरत होती है। बुआई से पहले इसको भी 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखे।
इसका रखें ध्यानबुआई के लिए 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर चौड़ी और 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनाएं। नालियों के दोनों किनारों पर 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी पर दो से तीन सेंटीमीटर गहरी बुआई करें।
भिंडी की खेती से किसान की राह होगी आसानफरवरी से मार्च के बीच भिंडी की अगैती बुआई होती है। दो से तीन बार जुताई करने के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल करें। बुआई कतार में करना ज्यादा श्रेयष्कर होता है। कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर ही रखें। बुआई के 15 से 20 दिन पर पहली निराई-गुड़ाई अत्यंत लाभदायक साबित होता है।
ऐसे करें तरोई की खेतीनदी के किनारे की भूमि इसके लिए उपयुक्त होती है। बुआई से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने के बाद दो से तीन बार हैरो या कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें। कतार में बुआई करें। कतार से कतार और पौधे से पौधे के बीच की दूरी एक मीटर रखें।