सबसे बड़ा पुरस्कार तब होता है जब मेरे लिखे पर मिलती है तारीफ: प्रो. अनीस अशफॉक
उन्हें यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘ख्वाब सराब‘ मिला है
लखनऊ ( हि.स़.)। साल- 2022 के साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। उर्दू भाषा में इस पुरस्कार के लिए अदब के शहर लखनऊ के रहने वाले प्रो.अनीस अशफॉक के नाम की घोषणा की गई है। वह एक प्रसिद्ध लेखक, समालोचक व शायर भी है। उनके नाम के चयन पर खुद प्रो. अशफॉक और उनके चाहने वालों ने खुशी जाहिर की है। उन्हें यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘ख्वाब सराब‘ मिला है। यह उपन्यास साल 2017 में प्रकाशित हुआ था।
इससे पहले साल 2014 में उनका उपन्यास ‘दुखियारे‘ आया। 2018 में परीनाज और परिन्दे प्रकाशित हुआ। 2017 में उनकी गजलों का एक संग्रह एक नैज़ा खून-ए-दिल प्रकाशित हुआ।
उन्होंने बताया कि पुरस्कर मिलने पर खुशी तो होती ही है, लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार तब होता है जब मेरे लिखे पर पढ़ने वालों की तारीफ मिलती है।
बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी मेरी तीन किताबें छपने को बिल्कुल तैयार है। गालिब के साहित्य पर एक किताब का विमोचन अभी हाल में हुआ है।
उन्होंने एक सवाल के जवाब मंें बताया कि जब तक उर्दू के पढने -लिखने वाले जिंदा है तब तक उर्दू कायम रहेगी। अभी लोग उर्दू को पढ़ रहे है। उसमें लिखा भी जा रहा है। इसलिए अभी मायूस होने की जरूरत नहीं है।
एक सवाल के जवाब मंे उन्होंने बताया कि लोग दो कारणों से किसी भाषा को पढते हैं पहला नौकरी लिए और दूसरे अपने शौक से। उर्दू में नौकरी तो कम है लेकिन जिनको अपनी भाषा से प्रेम है वे लोग इसमें लिखेगें और पढ़ेगंे भी।
प्रो. अनीय अशफॉक मूलतः लखनऊ के ही रहने वाले ही है। यहां पुराने शहर में नक्खास के बंजारी टोला में ही वह रहे है। उनकी पैदाईश भी यहीं की है। इसके अलावा उनकी शुरूआती पढ़ाई जुबिली कॉलेज में की है। उसके उच्च शिक्षा लखनऊ से हासिल की है और बाद में यहीं उनकी नौकरी की और प्रोफेसर भी हो गए।
शैलेंद्र मिश्रा