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सन्यास से वापसी कर सकते हैं इरफान पठान

खेल डेस्क

नई दिल्ली. भारत में क्रिकेट खिलाड़ी चाहे वो मौजूदा हों या पूर्व, ज़्यादातर अपनी राय ईमानदारी से रखने के लिए नहीं जाने जाते हैं. क्रिकेट के मैदान की बात हो या मैदान के बाहर की, हमारे स्टार खिलाड़ी कुछ भी कहने, बोलने या ट्वीट करने से पहले काफी सोचतें हैं, संभलतें हैं, नफा-नुकसान गिनते हैं और फिर फैसला लेतें हैं. लेकिन, इस भीड़ में एक नाम ऐसा है जो अपनी राय बेबाक तरीके से रखता है. नाम है इरफान पठान. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर ने इसी साल जनवरी में इंटरनेशनल क्रिकेट से औपचारिक तौर पर विदाई की घोषणा की और स्टार स्पोर्ट्स के लिए कमेंटेटर बन गए. लेकिन, पठान ना सिर्फ क्रिकेट बल्कि कई संवेदनशील मुद्दों पर अपनी राय रखने से नहीं हिचकतें हैं. कुछ ऐसा ही गौतम गंभीर भी करते हैं लेकिन गंभीर भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं.
इरफान से पूछा गया कि क्या उन्हें कुछ खोने का डर नहीं है. सोशल मीडिया में ट्रोलिंग से फर्क नहीं पड़ता है? पठान ने कहा, ’लोग तो कई दफा नकारात्मक बातें करतें हैं, उन्हें इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि आप क्या करतें हैं. अगर आप दाहिने जातें हैं और सही काम करते हैं तो वो कहेंगे कि बायें चलो और दूसरा काम करो. ऐसे लोग तो हमारे परिवार में भी होतें है इसलिए मैं इससे बहुत परेशान नहीं होता. मेरी राय से कोई भी असहमत हो सकता है लेकिन भाषा में गंदगी मुझसे सहन नहीं होती है. जहां तक बात साफ साफ कहने की है तो मैं अपनी राय देने से नहीं हिचकता हूं. मुझे जो मुद्दा सही लगता है, उस पर मैं कहता हूं.’ इरफान आज के दौर में बेहद कामयाब कामेंटेटर बन चुके हैं लेकिन उनका मानना है कि जो बात खेलने में है वो और किसी चीज़ में नहीं. यहां तक कि अब भी इरफान ने क्रिकेट के मैदान में वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी है! पठान ने कहा, ’रिटायरमेंट से ठीक पहले मुझे क्रिकेट में मज़ा नहीं आ रहा था. लेकिन हाल ही में जब मैनें रोड सेफ्टी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया तो फिर से पूरानी भावनायें जग गयीं. जब तक मैं फिट हूं, कुछ भी हो सकता है. मैं आपको सीधे-सीधे फिलहाल कुछ भी नहीं सकता लेकिन देखतें हैं कि भविष्य के गर्भ में क्या है.’
इरफान पठान ने हाल ही में सुरेश रैना के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाया था कि जो खिलाड़ी भारतीय चयनकर्ताओं की रडार में नहीं हैं उन्हें विदेशी टी 20 लीग में खेलने की इज़ाजत मिलनी चाहिए. पठान को खुद एक बार इंग्लैंड और एक बार वेस्टइंडीज़ में टी20 लीग का ऑफर आया था जिसे बीसीसीआई की कड़ी शर्तों के चलते उन्हें ठुकराना पड़ा था. इरफान ने आखिरी कुछ सीज़न वड़ोदरा की बजाए जम्मू-कश्मीर के लिए खेले. लेकिन, उन्होंने वड़ोदरा के कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया कि वो भारत के लिए खेल सकें. उनमें से एक हार्दिक पंड्या है जिनका बचपन से पठान से ख़ास लगाव रहा. पंड्या ने पठान के तौर एक ऐसा रोल मॉडल देखा जो गेंद और बल्ले से किसी भी मैच का रुख बदल सकता है. लेकिन, पठान को लगता है कि पंड्या को भारत के लिए अभी काफी कुछ करना है. इरफान पठान ने कहा, ’पंड्या फिलहाल किसी भी फॉर्मेंट में टॉप 10 में नहीं हैं. उनमें बहुत काबिलियत है लेकिन हमें एक ऐसा ऑलराउंडर मिल जाए जो मैच अपने दम पर जिता दे तो टीम इंडिया बेहद शक्तिशाली टीम हो जायेगी.’ पठान से ज़्यादा बेहतर इस बात को कौन जानता है कि उम्मीद पर खरा उतरना कितना मुश्किल काम है. भारत के लिए शानदार खेल दिखाने के बावजूद हमेशा उनकी तुलना कपिल देव जैसे महान खिलाड़ी के साथ करके उन पर बेवजह दबाव ही बनाया गया. कभी किसी ने ग्रेग चैपल को दोषी ठहराया तो कभी किसी ने उनके कप्तानों को. लेकिन, पठान अपने करियर के संघर्ष के लिए ना तो चैपल ना किसी और खिलाड़ी को दोष देतें हैं. बेबाक होने के बावजूद ईमानदारी से अपनी कमियों को मानने का ये स्वभाव भी पठान को कई मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों से अलग करता है.

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