सड़क सुरक्षा के नियमों की अनदेखी और प्रशासन की लापरवाही
जहां एक ओर केंद्र मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार ओवरलोडिंग पर कड़ी कार्रवाई करने का दावा कर रही हैं, वहीं उतरौला तहसील क्षेत्र की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयान करती है
संवाददाता रोहित कुमार गुप्ता
उतरौला (बलरामपुर)
जहां एक ओर केंद्र मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार ओवरलोडिंग पर कड़ी कार्रवाई करने का दावा कर रही हैं, वहीं उतरौला तहसील क्षेत्र की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयान करती है। यहां हर प्रकार की गाड़ियां—गन्नालदा ट्रक, ट्राला, ट्रांसपोर्ट की गाड़ियां, गिट्टी, बालू, मौरंग की गाड़ियां—सभी ओवरलोड होकर चल रही हैं।
यह चिंता का विषय बन चुका है कि आखिरकार कब तक आम लोग इन खतरों का सामना करते रहेंगे? सड़क सुरक्षा के नियमों की अनदेखी और प्रशासन की लापरवाही के कारण ओवरलोड ट्रकों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे न केवल यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि यह जान-माल के नुकसान का भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।
स्थानीय निवासी राधेश्याम, राजेंद्र कुमार, नसीम, राजेश कुमार, और नंदकिशोर का कहना है कि “हम हर दिन ओवरलोड ट्रकों और ट्रालों के कारण जाम में फंसते हैं। सड़कें टूट रही हैं और दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रशासन कुछ नहीं कर रहा।” ये लोग यह बताते हैं कि ओवरलोड ट्रकों के कारण न केवल यातायात व्यवस्था बाधित होती है, बल्कि सड़कें भी खराब हो रही हैं और दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है।
ओवरलोड ट्रकों के कारण सड़कों पर दबाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सड़कों को इतनी ज्यादा भार सहने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। इससे सड़कों में गड्ढे और दरारें पड़ने की समस्या उत्पन्न हो रही है। ओवरलोड ट्रक अपने वजन के साथ सड़कों को इस हद तक प्रभावित कर रहे हैं कि जगह-जगह टूट-फूट और खामियां दिखने लगी हैं।
ओवरलोडिंग की यह समस्या न केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है, बल्कि ट्रक मालिकों द्वारा अधिक माल ढोने के प्रयास भी हैं। ये ट्रक मालिक मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उनका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक माल ढोकर लाभ कमाना है, जिसके कारण सड़कों की स्थिति गंभीर हो गई है।
आखिरकार सवाल यही उठता है कि कब तक इस समस्या को नजरअंदाज किया जाएगा? ओवरलोड ट्रकों के कारण न केवल सड़कें खराब हो रही हैं, बल्कि यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है। प्रशासन को इस पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ओवरलोडिंग की समस्या को नियंत्रित किया जा सके और सड़कों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।