संस्था के तत्वधान में 6वीं तरही शेरी नशिस्त”
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कुंडा गोंडा दिनांक 28 अप्रैल 2023 की रात 9 बजे श्री मजीब अहमद के पुरे तिवारी स्थित आवास पर एक तरही शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। जिसकी सदारत श्री जमील आज़मी वा निज़ामत श्री हैदर गोंडवी ने की। मुख्य अतिथि एम.आई. एफ़ गोंडा के उपाध्यक्ष श्री मुश्फ़िक़ अहमद रहे जबकि विशिष्ट अतिथि दैनिक अख़बार इंकलाब के ब्यूरो चीफ़ शेख़ शम्स रहे। इन अतिथियों ने कहा कि हम जितनी ही भाषाएँ जानेंगे उतना ही चीज़ों को समझने में सक्षम रहेंगे और बोलने लिखने का कौशल बेहतरीन होगा।
नशिस्त में मेहमान शोअरा के तौर पर डॉ. शाद बलरामपुरी, तजम्मुल बलरामपुरी, ख़ालिद अज़ीज़ी किश्वर, डॉ. शम्स बलरामपुरी, महमूदुल्हक़ अज़्म वा अज़्म गोंडवी रहे।
नशिस्त का आग़ाज़ तजम्मुल बलरामपुरी की नात से हुवा साथ साथ नसीम अहमद ने दुआइया कलाम पेश किया। इसके बाद नशिस्त का तरही दौर शुरुअ हुवा। तरही मिसरे “फिर यह हुआ कि हम भी हदों से गुज़र पड़े” पर सभी शायरों ने कलाम पेश किए।
नशिस्त में पढ़े गए कुछ चुनिंदा अशआर पेश हैं―
जमील आज़मी ने कहा –
फ़ितनों की आग आई जलाकर चली गई,
उसको तमीज़ क्या थी किसी का भी घर पड़े
शाद बलरामपुरी ने कहा –
माज़ी में भी वतन की हिफाज़त हमीं ने की,
पीछे नहीं है आज भी देना जो सर पड़े
तजम्मुल बलरामपुरी ने कहा-
हाकिम के सारे हुक्म वहां बे’असर पड़े,
जिस जा कभी ख़ुदा के दीवाने गुज़र पड़े
नज्मी कमाल ने कहा –
ख़िदमत का जज़्बा देख के हैरान हूं बहुत,
क़दमों में कुछ इधर हैं पड़े कुछ उधर पड़े
ख़ालिद अज़ीज़ी किश्वर ने कहा –
अफ़सोस कुछ नहीं है कि मंज़िल को पाने में
जो आबले भी पाओं में मेरे अगर अगर पड़े
शम्स बलरामपुरी ने कहा –
आखों में अपनी उसको है मैंने बसा लिया,
वल्लाह अब किसी पे न मेरी नज़र पड़े
महमूदुलहक़ अज़्म ने कहा –
जब जब भी सामने तेरे कोई बसर पड़े,
किरदार आईना हो तो उस पर असर पड़े
अज़्म गोंडवी ने कहा –
पहले जहां पे ज़िल्ले इलाही का था क़याम,
अब खंडर की शक्ल में दीवारो दर पड़े
मजीब अहमद ने कहा –
क़ौलो अमल की फ़र्क़ ने बातिल किया तुझे,
दुनिया पे तेरी वाज़ का क्योंकर असर पड़े
अफसर हसन ने कहा –
उसकी सभी अदाएं बड़ी बेमिसाल हैं,
चौखट पे उसकी रहते हैं शम्सो कमर पड़े
ईमान गोंडवी ने कहा –
तुझसे वफ़ा का दावा इधर और उधर ये फिक्र
पत्थर पड़े ना सर पे ना पत्थर पे सर पड़े
हैदर गोंडवी ने कहा –
ज़र्रे से एक पल में वो हो जाये आफ़ताब,
जिस पर भी एक बार तुम्हारी नज़र पड़े
आतिफ़ गोंडवी ने कहा –
आमाल जा रहे हैं फ़क़त साथ मे लिए,
आख़िर को रह गए हैं सभी मालो ज़र पड़े
अल्हाज गोंडवी कहा –
फितरत में जिनकी तल्ख़ कलमी का हो वजूद,
सब्रो सुकूँ की बात का कैसे असर पड़े
अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा –
पर्दा नशीं ही ठीक हैं हम सबकी बेटियां,
अपनो की शक्ल में हैं कई बदनज़र पड़े
अरबाज़ ईमानी ने कहा –
मौक़ा मिले तो करते हैं अब रहज़नी का काम,
जितने भी अपने मुल्क में हैं राहबर पड़े।
इस मौके पर ख़ासतौर से फ़ैज़ बारी, गुड्डू, युसुफ़, सूफियान मुजीब, आवेस, अनीस वगैरा मौजूद रहे।