संघ ही सिखाता है कि संयुक्त परिवार में कैसे रहा जाता है : प्रो0 उमेश प्रताप सिंह
प्रयागराज(हि.स.)। संयुक्त परिवार रोजमर्रा के तनाव को दूर करता है। इसके कई फायदे हैं। इसलिए बच्चों को सही संस्कार देना चाहिए, जो संघ परिवार से ही मिलता है। संघ ही एकता सिखाता है और बताता है कि कैसे सब के साथ मिल-जुल कर रहा जाता है। इससे कई समस्याओं का समाधान होता है।
उक्त विचार मंगलवार को इविंग क्रिश्चियन कॉलेज (ईसीसी) के प्रो. उमेश प्रताप सिंह ने संयुक्त परिवार व एकल परिवार के बारे में से वार्ता करने पर व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि परिवार एक संस्था है। यह किसी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक छोटा परिवार एकल परिवार कहलाता है, जिसमें केवल माता-पिता और उनके बच्चे होते हैं। जबकि संयुक्त परिवार में माता-पिता अपने बच्चों, बच्चों के जीवनसाथी और आगे उनके बच्चों के साथ मिल कर रहते हैं। संयुक्त परिवार में संस्कृति और परम्परा को अधिक आसानी से सिखाया जाता है। बच्चे विभिन्न मूल्यों को सीखते हैं, जिम्मेदारियां उठाना सीखते हैं और दूसरों की देखभाल भी करते हैं। वे सामाजिक शिष्टाचार और पारिवारिक मूल्यों को सीखते हैं।
प्रो. सिंह ने संयुक्त परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि एक संयुक्त परिवार कठिन समय के दौरान मजबूत होता है। क्योंकि वे भावनात्मक और साथ ही एक-दूसरे का वित्तीय समर्थन भी करते हैं। परम्परा और संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अपने आप ही पहुंच जाती है। क्योंकि संयुक्त परिवार में कई सदस्य होते हैं इसलिए बच्चों को अधिक प्यार और देखभाल मिलता है। उनकी निगरानी करने और उनकी देखभाल करने के लिए हमेशा कोई न कोई घर पर होता है। परिवार के सदस्य जिम्मेदारियों को समझते हैं और सारे काम मिल-जुल करते हैं। किसी एक पर सारा भार नहीं आता है। सभी सदस्य जिम्मेदारी साझा कर सकते हैं। बड़ा परिवार होने के नाते आपके पास हमेशा कोई न कोई रहता है और इसलिए अकेलापन जैसी समस्या नहीं रहती है। हमेशा एक मनोवैज्ञानिक सपोर्ट बना रहता है। कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें बच्चे संयुक्त परिवार में देखकर सीख सकते हैं।
प्रोफेसर सिंह ने एकल परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि क्योंकि सीमित संख्या में ही सदस्य हैं, इसलिए आप अपनी इच्छानुसार काम करने के लिए स्वतंत्र हैं। बच्चों को अधिक स्वतंत्रता मिलती है क्योंकि परिवार छोटा होता है। एकल परिवार कम झगड़े और तेजी से निर्णय लेने वाले होते हैं। कुछ ही सदस्य होते हैं जो माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए बचत कर सकते हैं और कहीं घूमने जाने के लिए पैसे भी निकाल सकते हैं।
उन्होंने बताया कि एकल परिवार में हस्तक्षेप कम होता है। बच्चे जल्दी स्वतंत्र हो जाते हैं। वे अपना काम खुद करना सीखते हैं और दूसरों के काम और जीवन में हस्तक्षेप करना सीखते हैं। आमतौर पर एकल परिवार जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण लेते हैं और नौकरी के अचानक नुकसान से घर पर बोझ पड़ता है। कई बार सदस्य उदास और अकेला महसूस कर सकते हैं। क्योंकि हर कोई अपनी दिनचर्या में व्यस्त होता है और दूसरों के लिए समय कम निकल पाता है। ज्यादातर माता-पिता दोनों काम कर रहे होते हैं, ऐसे में बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और कमाने लगते हैं उन्हें लगता है कि माता-पिता को छोड़कर अकेले रहना ठीक है। यही बड़ों को अकेलापन देता है और उनके लिए सामना करना मुश्किल होता है। अंत में उन्होंने कहा कि आजकल महिलाएं बहुत सशक्त हुई हैं और लड़कियों में भी जागरूकता आयी है। लेकिन स्वतंत्रता अनुशासन की मांग करती है।
विद्या कान्त/मोहित