शाहजहांपुर :प्रसिद्ध उर्दू शायरा शाने मेराज का निधन
शाहजहांपुर। प्रसिद्ध उर्दू शायरा सैयदा शान-ए-मेराज का बरेली के मिशन अस्पताल में बृहस्पतिवार की रात में इंतकाल हो गया। 74 वर्षीय शायरा को पिछले कई दिनों से बीमार होने के कारण दो दिन पहले मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां रात में 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनको 2016 में उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी ने उनके गजल संग्रह ’जंजीरे दर’ पर पुरस्कार से नवाजा था।
शाहजहांपुर के मोहल्ला तारीन टिकली में रहने वाली मशहूर शायरा सैयदा शान-ए-मेराज का शुमार भारत-पाक की बड़ी शायरा में होता था। उनके पुत्र हसन अब्बास बब्बू ने बताया कि उनकी वालिदा शाने मेराज की चार-पांच दिन पहले तबियत खराब हुई थी। बुधवार को उन्हें बरेली के अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां बृहस्पतिवार की रात 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
त्रैमासिक पत्रिका उफुक-ए-नौ के सम्पादक व शायर राशिद हुसैन राही जुगनू ने बताया कि सैयदा शाने मेराज का वास्तविक नाम सैयदा शफक आरा था। उनका जन्म सैयद अशफाक हसन मियां के घर में 22 जुलाई 1947 को हुआ था। उन्होंने शायरी की शुरूआत 1972 से की। शायरी में उनके उस्ताद जनाब रबाब रशीदी थे। शाने मेराज ने देश के ज्यादातर आल इंडिया मुशायरों में प्रतिभाग किया। इसके अलावा उन्हें पाकिस्तान में होने वाले मुशायरों में भी कई बार आमंत्रित किया गया। जिसमें उनकी बहुत सराहना हुई। उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के मुशायरों में भी भाग लिया। उनका शुमार देश की नामचीन शायरात में होता था। उनका एक गजल संग्रह ’साहिल सीप समंदर’ और मजमून का संग्रह ’जंजीरे दर’ प्रकाशित हुए। ’साहिल सीप समंदर’ गजल संग्रह के विमोचन व मुशायरे में देश के कई ख्यातिलब्ध शायरों ने शिरकत की थी। मशहूर शायर व उस्ताद रबाब रशीदी ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए उन्हें एक बेहतरीन और कामयाब शायरा बताया। उनके निधन से उर्दू शायरी का बड़ा नुकसान हुआ है।
पति भी थे शायर
शाने मेराज के पति सैयद रौनक रजा जैदी भी शायर थे। वह बरेली के कस्बा टिसुआ के रईस खानदान से ताल्लुक रखते थे। रौनक रजा का गजल संग्रह ’आईने अकेले हैं’ प्रकाशित हुआ। उनका एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। उनकी तीन पुत्रियां और एक पुत्र हसन अब्बास हैं।
भारत-पाक के बड़े शायरों से थी अच्छी पहचान
शाने मेराज की शोहरत देश से निकल कर पाकिस्तान जक पहंुच गई। उनका परिचय अपने देश के बड़े शायरों से होने के साथ-साथ पाकिस्तान के प्रतिष्ठित शायरों में भी उनकी मकबूलियत थी। देश के ख्यातिप्राप्त शायर अली सरदार जाफरी, कुंवर महेंद्र सिंह बेदी सहर, जगन्नाथ आजाद, मलिक जादा मंजूर अहमद, कैफी आजमी, खुमार बाराबंकवी, प्रसिद्ध लेखिका कुर्तुल ऐन हैदर, मजरूह सुल्तानपुरी, निदा फाजली, बेकल डतसाही, कवि गोपाल दास नीरज, शुजा खावर, गीतकार शहरयार, जावेद अख्तर, इकबाल मजीद आदि के अलावा पाकिस्तानी शायर मुईन अहसन जज्बी, अहमद फराज, पीरजादा कासिम, परवीन शाकिर, शबनम रूमानी, हिमायत अली शायर आदि भी शाने मेराज की शायरी से प्रभावित थे।
–फिल्मी गीतकारों व सितारों से थीं प्रभावित–
शाने मेराज खुद एक बा-कमाल शायरा होने के बावजूद फिल्मी दुनिया से जुड़े शायरों के अलावा अभिनेताओं से प्रभावित थी। राशिद हुसैन राही ने बताया कि शाने मेराज का काफी समय मुम्बई में भी गुजरा। मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी से मुलाकात और मुम्बई प्रवास के दौरान शाने मेराज फिल्मी पार्टियों में भी जाती थीं। फिल्म अभिनेता राज कुमार से शाने मेराज की मुलाकात मजरूह सुल्तानपुरी के घर पर ही हुई थी। इसके अलावा पाश्र्व गायिका लता मंगेशकर, आशा भोंसले, गजल सम्राट जगजीत सिंह, फिल्म एक्टर शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, अमजद खान, अभिनेत्री परवीन बाबी आदि से उनकी मुलाकातों की कई यादगार तस्वीरें उनकी एल्बम में लगी हैं।
टिसुआ में किया गया दफन
शायरा शाने मेराज को उनके पति रौनक रजा की कब्र के पास ही दफनाया गया। बरेली के टिसुआ में बृहस्पतिवार को उनके पुत्र हसन अब्बास को परिवार के कुछ लोगों की मौजूदगी में देश की बड़ी शायरों को सुपुर्दे खाक कर दिया गया। उनके निधन पर देश-विदेश के कई प्रसिद्ध शायरों व लेखकों ने दुख व्यक्त किया है