शाखा चलाने के लिए साधना और तपस्या की जरूरत : दत्तात्रेय होसबाले

प्रयागराजहि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आज (मंगलवार) सुबह स्थानीय केपी इंटर कॉलेज मैदान में शाखा टोली संगम में संघ स्वयंसेवकों में उत्साह का संचार किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लोगों में विश्वास पैदा किया है, क्योंकि हम सदैव विश्व कल्याण की बात करते हैं। इसीलिए शाखा चलायी जाती है। शाखा चलाने के लिए साधना व तपस्या की जरूरत होती है।

सरकार्यवाह ने कहा कि संघ समाज में संगठन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ने का कार्य निरंतर करता रहा है। व्यक्ति को समाज से जोड़ने की साधना करनी है। इसके लिए शाखा चलती नहीं, चलायी जाती है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जगाने के लिए मोहल्ले व गली में जाना होता है। उन्होंने कहा कि हमने योग किया, अपने लिए। कोई देखे या न देखे। जैसे जंगल में मोर नाचा, किसने देखा। मोर नाचता है अपने आनंद के लिए, कोई देखे या न देखे। इसी प्रकार शाखा का काम है। हमें अपना काम निरंतर करते रहना है।

उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक ऐसा सोचते हैं कि मुझे क्या मिला ? इसके लिए हम काम नहीं करते। हमें भारत का ऋण चुकाना है, यह हमारा सामाजिक दायित्व है। इसीलिए शाखा चलाने के लिए साधना की जरूरत है, पुरुषार्थ की जरूरत है। पूरे देश में 62 हजार शाखाएं चल रही हैं, जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोग जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि शाखा निश्चित समय पर एक घंटे चलनी चाहिए। इसे चलाने के लिए साधना व तपस्या करनी पड़ती है। लोगों में शाखा चलाने का जज्बा हो। इसके लिए सम्पर्क करना पड़ता है। जो आए या नहीं आए, सभी से मिलना चाहिए।

सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि जिस राष्ट्र की उन्नति के लिए मैं लगा हूं और वह भी लगा है, इसलिए वह हमारा मित्र है। प्रत्येक स्वयंसेवक के साथ एक आत्मीय सम्बंध होन चाहिए। इस विचार परिवार में यही भावना होनी चाहिए। संघ की शाखा सरल है लेकिन आसान नहीं। समाज में संस्कृति की रक्षा और देशभक्ति की बात कौन करेगा ? उन्होंने कहा कि जैसे मनुष्य के अंग कभी-कभी काम करना बंद कर देते हैं। प्राण वायु कम होता गया तो वह गया। इसी प्रकार संघ को अपनी यह प्राण वायु बनाये रखनी है।

विद्या कान्त/मुकुंद

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