शत्रुओं का नाश करती है मां कालरात्रि

पंडित अतुल शास्त्री

कालरात्रि की पूजा शक्ति की उपासना है। नवरात्र में इस अवधि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं, जिसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है। ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में दुर्गा की पूजा की जाती है। दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी हैं। इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था, श्रद्धा से की जाती है तो उनकी नवों शक्तियाँ जागृत होकर नवों ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं। फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता। दुर्गा की इन नवों शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के ’नवार्ण मंत्र’ का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है। दुश्मनों से जब आप घिर जायें, हर ओर विरोधी नज़र आयें, तो ऐसे में आपको माता कालरात्रि की पूजा करनी चाहिये। ऐसा करने से हर तरह की शत्रु बाधा से मुक्ति मिलेगी। माँ दुर्गा का सातवाँ रूप कालरात्रि का है, जो काफी भयंकर है। विद्युत की तरह चमकने वाली चमकीले आभूषण पहने माँ कालरात्रि नाम के अनुरूप काली रात की तरह हैं और उनके बाल बिखरे हुए हैं। उनकी तीन उज्जवल आँखें हैं, जो ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनके नेत्रों से विद्युत के समान चमकीली किरणें निकलती रहती है। जब वह साँस लेती हैं तो हज़ारों आग की लपटें निकलती हैं। वह मृत शरीर पर सवारी करती हैं। उनके दाहिने हाथ में उस्तरा, तेज तलवार है तथा उनका निचला हाथ आशीर्वाद के लिए है। ऊपरी बाएं हाथ में जलती हुई मशाल है और निचले बाएं हाथ से वह अपने भक्तों को निडर बनाती हैं। उन्हें शुभकुमारी भी कहा जाता है जिसका मतलब है जो हमेशा अच्छा करती हैं। कहते हैं माँ कालरात्रि के रूप में माँ दुर्गा का सबसे क्रूर और भयंकर रूप ही प्रकृति के प्रकोप का कारण है।

यह भी पढ़ें : तुलसीदास ने क्यों नहीं की हनुमान जी के चरणों की वंदना

माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। यह ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य होता है, में स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानुचक्र की शक्तियाँ जागृत हो जाती हैं। माँ कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट हो जाता है तथा जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। सप्तमी तिथि के दिन भगवती माँ कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है। माँ कालरात्रि का पसंदीदा रंग गुलाबी है। अतः मां दुर्गा के इस स्वरूप के पूजन में गुलाबी रंग का प्रयोग शुभ होता है। अतः इस दिन गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करें। मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की उपासना करने के लिए ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’ का जाप करना चाहिए। शत्रु बाधा मुक्ति के लिए ‘त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमुर्धनि तेपि हत्वा। नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्त मस्माकमुन्मद सुरारिभवम् नमस्ते’ मंत्र बहुत काम का है।

यह भी पढ़ें : राक्षस चण्ड और मुण्ड की मृत्यु कैसे हुई?

पंडित अतुल शास्त्री

आवश्यकता है संवाददाताओं की

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com को गोण्डा जिले के सभी विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तथा देवीपाटन, अयोध्या, बस्ती तथा लखनऊ मण्डलों के अन्तर्गत आने वाले जनपद मुख्यालयों पर युवा व उत्साही संवाददाताओं की आवश्यकता है। मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग का ज्ञान होना आवश्यक है। इच्छुक युवक युवतियां अपना बायोडाटा निम्न पते पर भेजें : jsdwivedi68@gmail.com
जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
मोबाइल – 9452137310

error: Content is protected !!