वैक्सीनेशन, एलोपैथिक दवाइयों के लिए भ्रामक विज्ञापन हटाए पतंजलि, वर्ना लगेगा भारी जुर्मानाः सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली(हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथिक दवाइयों और वैक्सीनेशन के खिलाफ जारी विज्ञापनों पर पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को चेतावनी दी कि वो ऐसे भ्रामक विज्ञापन हटाएं, वर्ना भारी जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो स्वास्थ्य संबंधी भ्रामक विज्ञापनों पर नियंत्रण के लिए प्रस्ताव लेकर आएं।
पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबा रामदेव की टिप्पणी पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव को क्या हुआ है। योग को लोकप्रिय बनाने के लिए हम उनकी इज्ज़त करते हैं परन्तु उन्हें इलाज के दूसरे तरीकों पर यूं सवाल नहीं उठाना चाहिए। उन्हें दूसरों की आलोचना करने से बचना चाहिए।
याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने दायर की है। याचिका में बाबा रामदेव के कोरोना वैक्सीन और एलोपैथिक दवाइयों को लेकर दिए गए बयान पर नियंत्रण लगाने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। आईएमए ने याचिका में कहा है कि आयुष कंपनियां भी अपने बयानों से आम जनता को भ्रमित कर रही हैं। वे कहती हैं कि डॉक्टर एलोपैथिक दवाइयां लेते हैं लेकिन उन्हें भी कोरोना ने अपना शिकार बनाया। आईएमए ने कहा है कि इस तरह की भ्रामक बयानबाजी पर रोक लगाने की जरूरत है।
आईएमए ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया, सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी और पतंजलि आयुर्वेद के अलावा केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय को ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर रोक लगाने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव के एलोपैथिक पर दिए गए बयानों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। हाई कोर्ट सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जता चुका है।
संजय/पवन/दधिबल