विधि एवं न्याय : हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा, कितने ऑक्सीजन केंसेंट्रेटर्स कस्टम क्लियरेंस में अटके हैं

हाईकोर्ट ने कहा- हम ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जाते नहीं देख सकते
संजय कुमार
नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कितने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स कस्टम क्लियरेंस के लिए पड़े हुए हैं। जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की वजह से लोगों की जान नहीं जानी चाहिए। 

दरअसल, सुनवाई के दौरान मैक्स अस्पताल की ओर से वकील कृष्णन वेणुगोपाल ने हाईकोर्ट से कहा कि अस्पताल के तीन हजार ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स कस्टम क्लियरेंस के लिए पड़े हुए है। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स, टैंकर्स इत्यादि के लिए फंड का इंतजाम करती तो वे व्यक्तिगत रूप से कई लोगों से फंड दिलाने की कोशिश करेंगे। तब दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष पहले से मौजूद है। हम उसके खाता नंबर का प्रचार-प्रसार करेंगे। मुख्यमंत्री राहत कोष का डोनेशन लिंक मौजूद है। तब वेणुगोपाल ने कहा कि वो काम नहीं कर रहा है। 
कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कस्टम क्लियरेंस के लिए कितने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर अटके हुए हैं। तब केंद्र की ओर से वकील अमित महाजन ने कहा कि ये संख्या बदलती रहती है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि आदेश के मुताबिक तीन घंटे के भीतर कस्टम क्लियरेंस हो जाए। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या पहले से कुछ उपकरण कस्टम क्लियरेंस के लिए हैं। तब महाजन ने कहा कि हम ऐसा नहीं कह सकते हैं क्योंकि एक घंटे बाद कुछ भी पेंडिंग नहीं रहेगा। इस पर कोर्ट ने असंतोष जताया। तब वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार को अस्पतालों को प्राथमिकता देनी चाहिए। तब कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि अभी तक कितनी कस्टम क्लियरेंस हुईं हैं। तब महाजन ने कहा कि 48 हजार। कोर्ट ने कहा कि क्या होता अगर 48 लाख उपकरण आए होते। तब महाजन ने कहा कि हम पता लगाते हैं। इस पर कोर्ट ने साफ कहा कि हम इनकी वजह से जान जाते हुए नहीं देख सकते हैं। 

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