वर्षों बाद भी उपेक्षित है गोण्डा स्थित मानसकार की जन्मभूमि

(गोस्वामी तुलसीदास के जन्म दिन पर विशेष)

जानकी शरण द्विवेदी

हर साल सावन माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर तुलसीदास का जन्मोत्सव मनाया जाता है। तुलसीदास जी का जन्म 16वीं सदी में हुआ था। इस साल 15 अगस्त को तुलसीदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। तुलसीदास जी ने कई ग्रंथों की रचना की। श्री रामचरितमानस की रचना कर गोस्वामी तुलसीदास हमेशा के लिए अमर हो गए। श्री राम भक्त हनुमान जी को तुलसीदास का अध्यात्मिक गुरू कहा जाता है। महाबलि हनुमान की उपासना के लिए भी तुलसी दास ने विभिन्न रचनाएं लिखी हैं, जिनमें हनुमान चालिसा और बजरंग बाण आदि प्रमुख हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान जी को गुरु माना था। गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा की रचना की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। अधिकांश विद्वानों का मतह ै कि गोस्वामी तुलसीदास का जन्म गोण्डा जिले के परसपुर विकास खण्ड अन्तर्गत सरयू नदी के तट पर बसे राजापुर गांव में हुआ था। यहीं से मात्र तीन किमी की दूरी पर पसका है, जिसे सूकर खेत के नाम से जाना जाता है। उनके गुरु नरहरि दास का आश्रम यहीं पर था, जहां वह बालपन में कथा सुनने के लिए आया करते थे। बताते हैं कि उनका बचपन कष्टों से भरा रहा। तुलसीदास जी की माता की मृत्यु के बाद उनके पिता ने उन्हें त्याग दिया था। किवदंती के अनुसार, तुलसीदास जी को पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था। एक बार उन्होंने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनाती नदी को भी पार कर लिया था। तब उनकी पत्नी ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा जितना प्रेम आप मुझसे करते है, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। यह सुनते ही तुलसीदास की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए। हालांकि इस बारे में भी विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कई विद्वान मानते हैं कि श्री राम चरित मानस के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास के समवर्ती उनके नामधारी तीन अन्य हिन्दी विद्वान भी जन्म लिए हैं। उन्होंने कुछ रचनाएं तो अवश्य लिखी हैं किन्तु राम चरित मानस उनकी कृति नहीं है। यहां तक कि मानस के रचनाकार भी अविवाहित थे। इसका उल्लेख उन्होंने स्वयं अपनी रचनाओं में किया है। तुलसीदास जी ने अपना अंतिम समय काशी में व्यतित किया और वहीं राम जी के नाम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया। महान ग्रंथ श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 ग्रंथों की रचना की। सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को मिली। श्रीरामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा उनकी लोकप्रिय रचना है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों में श्रीरामचरितमानस, कवितावली, जानकीमंगल, विनयपत्रिका, गीतावली, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण इत्यादि प्रमुख हैं। उनकी जन्म स्थली अब भी पूरी तरह उपेक्षित है। इस पर न तो नेताओं की नजर पड़ती है और न ही अधिकारियों की।

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