वज्रपात से बचाव के लिए शासन ने जारी की एडवाइज़री
संवाददाता
बहराइच। वज्रपात के दौरान ‘क्या करें-क्या न करें’ के सम्बन्ध में राहत आयुक्त, उत्तर प्रदेश शासन की ओर एडवाइज़री जारी की गयी है। इस सम्बन्ध में जारी किये गये पत्र में कहा गया है कि चक्रवात, बाढ़, सूखा, भूकम्प, वज्रपात और आंधी आदि के कारण प्राकृतिक आपदा हो सकती है। प्रदेश में विशेष रूप से मानसून की अवधि के दौरान कई आपदाओं का खतरा रहता है। हाल के वर्षों में वज्रपात एक अत्यन्त खतरनाक और प्रायः घटित होने वाली आपदाओं में से एक है। वज्रपात पृथ्वी पर सबसे पुरानी देखी गई प्राकृतिक घटनाओं में से एक है परन्तु आम जन-मानस के मध्य इसके प्रति जागरूकता का काफी अभाव है, जिसके कारण प्रदेश में बड़ी संख्या में जनहानियॉ हो रही हैं।
वज्रपात एक प्राकृतिक आपदा है। जिसमें आसमान में अपोज़िट एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते और घुमड़ते रहते हैं। ये वितरीत दिशा में जाते हुए टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है जो धरती पर गिरती है। आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से बिजली पृथ्वी पर कंडक्टर की तलाश में पहुॅच जाती है, जिससे नुकसान पहुॅचता है। धरती पर पहुॅचने के बाद बिजली को कंडक्टर की ज़रूरत पड़ती है। आकाशीय बिजली जब लोहे के खम्बों के अगल-बगल से गुज़रती है तो वह कंडक्टर का काम करता है। उस समय यदि कोई व्यक्ति उसके सम्पर्क में आता है तो उसकी जान तक जा सकती है।
आसमानी बिजली का असर ह्यूमन बॉडी पर कई गुना होता है। डीप बर्न होने से टिशूज़ डैमेज हो जाते हैं। जिन्हें आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है। बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है। हार्ट अटैक होने से मौत हो जाती है। इसके असर से शारीरिक अपंगता का खतरा होता है। लोगों द्वारा जोखिम को कम करके और अपनाये जाने वाले सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण बिजली गिरने और वज्रपात के दौरान चोट और मृत्यु हो जाती है।
वज्रपात के दौरान घर या कार्यस्थल पर हों, तो क्या करें और क्या न करें के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि आसमान में अंधेरा छा जाये और तेज़ हवा हो तो सतर्क हो जाएं, आसमान की गड़गड़ाहट सुनते ही समझ लें कि वज्रपात होने वाला है। जब तक बिल्कुल आवश्यक न हो, बाहर न जाएं। याद रखें, बिजली की चमक और गड़गड़ाहट के बीच सेकंड की गिनती करके और 3 से विभाजित करके, स्ट्राइक से अपनी दूरी का अनुमान कि.मी. में लगाया जा सकता है। अद्यतन जानकारी और चेतावनी निर्देशों के लिए स्थानीय मीडिया पर निगरानी रखें। घर के अन्दर रहें और यदि संभव हो तो यात्रा से बचें।
वज्रपात से सुरक्षा के लिए अपने घर के बाहर खिड़कियों, दरवाज़ों और सुरक्षित वस्तुओं को बन्द करें। सुनिश्चित करें कि बच्चे और जानवर अन्दर हों। अनावश्यक बिजली के उपकरणों को अनप्लग करें। पेड़ की लकड़ी या किसी अन्य मलबे को हटा दें जो हवा में उड़कर दुर्घटना का कारण बन सकता है। वज्रपात पशुधन के लिए भी एक बहुत बड़ा खतरा है। आंधी के दौरान पशुधन अक्सर पेड़ों के नीचे इकट्ठा हो जाते हैं और एक ही वज्रपात में कई जानवरों की जान जा सकती है। इसलिए वज्रपात के दौरान जानवरों को आश्रय में ले जाना चाहिए। वज्रपात से बचने के लिए सुझाव दिया गया है कि वज्रपात की संभावना के समय स्नान करने से बचें और बहते हुए पानी से दूर रहें, क्योंकि बिजली धातु के पाईप के साथ यात्रा कर सकती है। दरवाज़े, खिड़कियॉ, स्टोव, रेडिएटर्स, सिंक, बाथरूम या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक कंडक्टर से दूर रहें, बिजली के उपकरणों का उपयोग करने से बचें।
वज्रपात के दौरान बाहर/खुले में हों तो क्या करें और क्या न करें के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि तुरन्त सुरक्षित आश्रय पर जाएं। इमारतें आश्रय के लिए सर्वेत्तम है लेकिन यदि कोई इमारत उपलब्ध नहीं है तो एक गुफा, खाई या घाटी में भी सुरक्षा पायी जा सकती है। यदि कोई आश्रय नहीं मिल रहा है तो क्षेत्र की सबसे ऊॅची वस्तु से बचें। यदि आस-पास केवल पेड़ हैं तो ज़मीन में नीचे झुककर बैठ जाएं। नीची सतह वाली आश्रय के नीचे छुपे और सुनिश्चित करें कि चुने गये स्थान में बाढ़ की संभावना नहीं है। धातु की वस्तुओं और संरचनाओं से बचे। यदि गर्दन या पीठ की त्वचा पर झुनझुनी होने लगे या बाल खड़े होने लगे तो समझे कि वज्रपात आसन्न है, तुरन्त ज़मीन पर लेट जायें। क्या न करें के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि ज़मीन पर सीधे न लेटें बल्कि सिमट कर गठरीनुमा आकार में लेटें, फोन एवं बिजली के तार की फेन्सिंग, पेड़ आदि से दूर रहें, पानी से बाहर निकलें, यदि छोटी नाव में हैं तो भी तुरन्त बाहर निकलें। पेड़ के नीचे कदापि शरण न लें क्योंकि लम्बे पेड़ बिजली को आकर्षित करते हैं। रबर-सोल वाले जूते और कार के टायर बिजली से सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं।