लोस चुनाव : लखनऊ में नौंवी बार विपक्ष को परास्त कर भाजपा रचेगी इतिहास!
लखनऊ (हि.स.)। गोमती नदी के किनारे पर बसा लखनऊ शहर अपनी तहजीब और नजाकत के लिए मशहूर है। यहां के दशहरी आम पूरे देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। लखनऊ लोकसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ कहा जाता है। लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र रहा है और वह इस सीट से लगातार 5 बार सांसद चुने गए। पिछले तीन दशकों से इस सीट पर भाजपा काबिज है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 35 लखनऊ में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होगा।
लखनऊ लोकसभा सीट का इतिहास
लखनऊ लोकसभा सीट पर अब तक 18 बार आम चुनाव हो चुके हैं। जिसमें 8 बार भाजपा ने रिकार्ड जीत दर्ज की हे। 2024 के चुनाव में भाजपा नौंवी बार जीत का रिकार्ड कायम करना चाहती है। वैसे लखनऊ लोकसभा सीट का सियासी इतिहास बेहद ही दिलचस्प रहा है। आजादी के बाद साल 1952 में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर प्रधानमंत्री नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित ने पहली जीत हासिल की थी। इसके बाद 1953 में संयुक्त राष्ट्र ने भारत की विजयलक्ष्मी पंडित को महासभा के 8वें अध्यक्ष के रूप में चुना, वह इस भूमिका के लिए चुनी गई पहली भारतीय महिला थीं। उन्होंने संसद से इस्तीफा दे दिया और यह सीट खाली हो गई। उप चुनाव में भी नेहरू परिवार से ही श्योराजवती नेहरू सांसद बन गईं। उसके बाद 1957 में कांग्रेस से ही पुलिन बिहारी बनर्जी और फिर 1962 में बीके धवन लोकसभा के लिए चुने गए। लेकिन, कहानी में नया खेल 1967 में देखने को मिला। जब एक निर्दलीय प्रत्याशी
आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस के ‘किले’ पर फतह किया। 1991 से 5 बार अटल बिहारी बाजपेयी यहां से सांसद रहे। एक बार लालजी टंडन और 2014, 2019 से लगातार दो बार राजनाथ सिंह सांसद रहे हैं। लखनऊ संसदीय सीट से कांग्रेस 7 बार जीत चुकी है। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी जीत 35 साल पहले 1984 के चुनाव में मिली थी। लखनऊ से जनता दल, जनता पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार को भी एक-एक बार सफलता मिल चुकी है। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का इस सीट पर अब तक खाता नहीं खुला।
पिछले दो चुनावों का हाल
वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टियों के प्रदर्शन को बात करें तो भाजपा के राजनाथ सिंह को 633,026 (56.64%) वोट मिले थे। वहीं दूसरे स्थान पर रहीं सपा से पूनम सिन्हा को 285,724 (25.57%) और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रहे आचार्य प्रमोद कृष्णन को 180,011 (16.11%) वोट मिले थे। राजनाथ सिंह ने 3 लाख 47 हजार 302 वोट के अंतर से बड़ी जीत हासिल की।
बात 2014 के चुनाव की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी राजनाथ सिंह ने 2 लाख 72 हजार 749 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। राजनाथ सिंह को 561,106 (54.23%) वोट हासिल हुए। वहीं दूसरे स्थान पर रही कांग्रेस प्रत्याशी प्रो0 रीता बहुगुणाा जोशी को 288,357 (27.87%) वोट मिले। बसपा के नकुल दुबे को 64,449 (6.23%) और सपा के अभिषेक मिश्र को 56,771 (5.49%) वोट हासिल हुए थे। सपा और बसपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
लखनऊ लोकसभा सीट से भाजपा ने एक बार फिर से राजनाथ सिंह को टिकट दिया है। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उनके सामने समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा चुनावी मैदान में हैं। बसपा ने मोहम्मद सरवर मलिक को टिकट दिया है।
लखनऊ सीट का जातीय समीकरण
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र में लगभग 23 लाख वोटर हैं। जातीय समीकरणों पर नजर डाले तो करीब 71 फीसदी आबादी हिंदू समाज से हैं। जिसमें 18 प्रतिशत वोटर राजपूत और ब्राह्मण का है। इसके अलावा 28 प्रतिशत ओबीसी, 0.2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और करीब 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। जबकि साल 2011 की जनगणना के आधार पर लखनऊ लोकसभा में 26.36 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। मुस्लिम में शिया बिरादरी की संख्या ज्यादा है। इस सीट पर वैश्य, कायस्थ, सिख, पंजाबी, खत्री और जैन समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
विधानसभा सीटों का हाल
लखनऊ लोकसभा सीट के अंतर्गत लखनऊ की 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें लखनऊ पूर्वी, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ मध्य, लखनऊ उत्तरी और कैंट विधानसभा शामिल हैं। लखनऊ पश्चिम और लखनऊ मध्य सीटों पर सपा और बाकी तीन सीटों पर भाजपा काबिज है।
जीत का गणित और चुनौतियां
1991 से इस सीट पर भाजपा का काबिज है। पिछले आठ चुनाव लगातारत भाजपा प्रत्याशियों ने जीते हैं। भाजपा इस चुनाव में नौंवी जीत के इरादे से मैदान में उतरी है। 1991 से लेकर 2004 तक स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी यहां से सांसद रहें। पिछले दो चुनाव में राजनाथ सिंह यहां से जीतकर दिल्ली पहुंचे हैं। राजनाथ डबल इंजन की सरकार के विकास कार्यों को गिना रहे हैं। सपा ने लखनऊ मध्य के विधायक एवं पार्टी के कद्दावर नेता रविदास मेहरोत्रा और बसपा ने लखनऊ उत्तरी से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके सरवर अली को मैदान में उतारकर चुनाव को रोमांचक बना दिया है। वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने लखनऊ मध्य और पश्चिमी सीट पर भाजपा को हराकर जीत दर्ज की थी, जिससे उसका मनोबल बढ़ा है। वहीं पीडीए का नारा बुलंद करते हुए समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की तैयारी में है। अगर पीडीए के साथ अपर कास्ट वोटराें में सपा ने पैठ बनाई तो चुनाव परिणाम दिलचस्प हो सकते हैं।
राजनीतिक विशलेषक विनय मिश्र के अनुसार, लखनऊ में भाजपा मजबूत स्थिति में है। इंडिया गठबंधन ने लड़ाई दिलचस्प जरूर बना दी है। बसपा प्रत्याशी भले जीते न, लेकिन वो सपा के मुस्लिम वोट में बिखराव करेगा। ऐसा लगता है कि इस बार भी लखनऊ विपक्ष को जीत का लड्डू खिलाने के मूड में नहीं है।
लखनऊ से कौन कब बना सांसद
1952 विजय लक्ष्मी पंडित (कांग्रेस)
1955 श्योराजवती नेहरू (कांग्रेस) उपचुनाव
1957 पुलिन बिहारी बनर्जी (कांग्रेस)
1962 बीके धवन (कांग्रेस)
1967 आनन्द नारायण मुल्ला (निर्दलीय)
1971 शीला कौल (कांग्रेस)
1977 हेमवती नन्दन बहुगुणा (जनता पार्टी)
1989 मानधाता सिंह (जनता दल)
1991 अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा)
1996 अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा)
1998 अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा)
1999 अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा)
2004 अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा)
2009 लाल जी टंडन (भाजपा)
2014 राजनाथ सिंह (भाजपा)
2019 राजनाथ सिंह (भाजपा)