लोस चुनाव: उत्तर प्रदेश की 48 सीटों पर हैट्रिक लगाने का भाजपा का है लक्ष्य

लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 48 पर भाजपा हैट्रिक लगाने के लिए प्रयासरत है। नौ सीटें ऐसी हैं, जहां वह तीन बार और इससे ज्यादा बार से जीतती आ रही है। विपक्ष भी पिछले चुनाव में जीती सीटों की गिनती बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की आंधी में विपक्ष का तंबू उखड़ गया था। उसकी झोली में मात्र 07 सीटें आई थीं। वर्ष 2019 के चुनाव में विपक्ष 16 सीटें जीतने में कामयाब रहा। इस बार प्रदेश में भाजपा ने सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सपा-बसपा ने अपनी विचारधारा और रीति-नीति से हटकर मजबूरी में गठबंधन किया। हालांकि वो भाजपा के विजय रथ को पूरी तरह रोक नहीं पाया। सपा को 5, बसपा को 10 सीटें मिलीं, तो वहीं रालोद के हाथ खाली ही रह गये। कांग्रेस अकेले मैदान में उतरी थी। उसके हिस्से में एक मात्र रायबरेली सीट आई। उसके बड़े नेता राहुल गांधी अमेठी की पुश्तैनी सीट भाजपा के हाथों गंवा बैठे।

राज्य में 56 सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा ने लगातार वर्ष 2014 एवं 2019 में जीत दर्ज की। वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, आंवला और बांसगांव सीट पर भाजपा ने लगातार तीन चुनाव (2009, 2014 और 2019) जीते हैं। यहां वो चौथी बार जीत की तैयारियों में जुटी है। पीलीभीत सीट 2004 से भाजपा के खाते में हैं। गोरखपुर लोकसभा सीट पर वर्ष 2018 के उपचुनाव को छोड़ दें तो भाजपा यहां लगातार पिछले तीन दशक से इस पर जीत दर्ज करती आ रही है। वहीं लखनऊ सीट पर भी भाजपा पिछले ढाई-तीन दशक से जीत दर्ज कर रही है।

पिछले चुनाव में इन सीटों पर हारी भाजपा

पिछले चुनाव में भाजपा 16 सीटें गंवा दी थी। इनमें गाजीपुर, लालगंज, नगीना, रायबरेली, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, अंबेडकरनगर, घोसी, सहारनपुर, श्रावस्ती, जौनपुर, मैनपुरी, सम्भल, आजमगढ़ और रामपुर थीं। वर्ष 2022 में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कर अपनी सीटों में इजाफा किया। वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा रायबरेली, अमेठी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बदायूं, कन्नौज और आजमगढ़ सीटों पर विजय पताका नहीं फहरा पाई थी। भाजपा सूत्रों के मुताबिक 2024 के आम चुनाव में भाजपा के रणनीतिकारों ने पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों को जीतने पर ध्यान केंद्रित किया है। साथ ही 48 सीटों पर हैट्रिक लगाने के लिए भी सारे गुणा-भाग और समीकरण सेट किये हैं।

एनडीए के कुनबे का विस्तार

भाजपा ने इस बार उत्तर प्रदेश में पश्चिम से पूर्वांचल तक एनडीए के कुनबे का विस्तार अपनी जीत को बड़ा बनाने के लिए किया है। भाजपा इस बार 74 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। छह सीटें उसने अपने सहयोगी दलों रालोद (02 सीट), निषाद पार्टी (01 सीट), सुभासपा (01 सीट) और अपना दल सोनेलाल (02 सीट) को दी हैं। असल में भाजपा इस बार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं दिखती। वो एक-एक सीट पर चिंतन-मंथन और समीकरणों के हिसाब से उम्मीदवार उतारकर 2014 के अपने ही रिकार्ड को तोड़ना चाहती है।

फूंक-फूंक कर कदम रख रही भाजपा

पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची में भाजपा ने प्रदेश में 51 उम्मीदवारों का ऐलान किया। पार्टी ने 47 पुराने चेहरों को रिपीट किया, केवल चार सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे हैं। प्रदेश की जिन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान होना बाकी है, उनमें ज्यादातर वो सीटें हैं, जिन पर पिछली बार पार्टी को निराशा हाथ लगी थी। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर विपक्षी दलों की रणनीति और चाल पर पार्टी की नजर है। इसके अलावा जीत के समीकरणों और अन्य बिंदुओं पर चिंतन-मंथन से उम्मीदवारों के ऐलान में देरी हो रही है।

इन सीटों पर हैट्रिक की तैयारी

बरेली, शाहजहांपुर, कैसरगंज, खीरी, भदोही, सीतापुर, मिश्रिख, हरदोई, मोहनलालगंज, उन्नाव, सुल्तानपुर, अकबरपुर, अयोध्या, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, बहराइच, गोंडा, बस्ती, डुमरियागंज, महाराजगंज, गौतमबुद्ध नगर, सलेमपुर, देवरिया, बलिया, मछलीशहर, चंदौली, फूलपुर, प्रयागराज, संतकबीर नगर, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, झांसी, जालौन, धौरहरा, कानपुर, इटावा, फर्रूखाबाद, कुशीनगर, एटा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़, बुलंदशहर, कौशाम्बी, बागपत, मुजफ्फरनगर और कैराना पर हैट्रिक की तैयारी पार्टी कर रही है। वाराणसी, लखनऊ, आंवला, मेरठ, आगरा, गाजियाबाद, बांसगांव और पीलीभीत पर भाजपा तीन या उससे ज्यादा बार जीत चुकी है।

आशीष वशिष्ठ/राजेश/पवन

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