लॉक्ड प्रोफाइल…………
ज्ञान सिंह
सुबह-सुबह आँख खुली तो हाथ हमेशा की तरह मोबाइल की ओर चला गया और आँखें खोजने लगी कि क्या कुछ नया है। फ़ेसबुक खोला तो पाया कि भगवान की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई हैं। हम बड़े चकित हुए और आह्लादित भी कि खुद भगवान ने हमे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है। हमें लगा कि हम तो बड़े नसीब वाले हैं, हमने कभी सुना ही नहीं था कि किसी को कभी भगवान ने भी रिक्वेस्ट भेजी हो। यह ज़रूर सुना और देखा है कि तमाम लोग भगवान के पास ही तरह-तरह की रिक्वेस्ट भेजते रहते हैं। कौतूहल और ख़ुशी से सरोबार जैसे ही हमने उनकी प्रोफ़ाइल खोली और डिटेल्स देखने चाहे तो लिखा पाया ‘प्रोफ़ाइल लॉक्ड’।“ वाह भगवान जी!” हमने सोचा, “आप भी क्या मज़ाक़ करते हो, फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजी और अपने बारे में कुछ बताना भी नहीं चाहते हो….यह भी कोई बात हुई। अरे हम भी तो जाने… कहाँ आपका ठिकाना है.. क्या करते हो.. कौन-कौन आपके दोस्त हैं और क्या लिखते पढते हो।” फिर हमें अचानक एक पुरानी फ़िल्म की लाइनें याद आ गईं जिसमें किसी ने परेशान होकर और गा गा कर आपके बारे में कुछ इशारा किया था, “जरा सामने तो आओ छलिये, छुप-छुप छलने का क्या राज है। तू छुप न सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की यह आवाज़ है।” यह लाइनें याद आते ही हमारे मन से संशय के बादल छटने लगे। हमें पता चल गया कि आपकी तो छुपने की बहुत पुरानी आदत है। तभी तो यह बेचारा गा गाकर आपको खुलेआम उलाहना दे रहा है। जनाब तो कभी किसी के सामने आते ही नहीं हैं। सदैव छुपे ही रहते हैं। दुनिया भर में लोग आपको तरह-तरह से ढूँढ निकालने की कोशिश में अनंत काल से लगे हुए हैं। कोई हिमालय की कन्दराओं में भटक रहा है, तो कोई धूनी लगाये आपके दीदार के लिए सालों से तपस्या कर रहा है। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे कोई भी स्थान बचा नहीं है, जहाँ आपकी ढूँढ न मची हो। तमामों ने तो दुनिया भर के तीर्थ स्थानों की ख़ाक छान मारी, पर आपका कोई सुराग़ नहीं लगा पाये। थक हार कर लोगों ने कल्पनाओं में ही आपकी रूप रेखा, पहनावा, चाल ढाल और कारोबार की कहानियाँ गढ कर संतोष कर लेने में ही अपनी भलाई समझी।
भगवान जी! आप क्यों और कहाँ छुपे हैं यह आपका निजी मामला है। हो सकता है कि आपके छुपे रहने के पीछे कुछ कारण हों जो आप उजागर नहीं करना चाहते हों। हमारे यहां तो वही लोग छुपे रहते हैं जिन्होंने कोई क़ानून तोड़ा हो और पुलिस उनकी तलाश कर रही हो। पुलिस ऐसे लोगों को अपनी भाषा में फ़रार बता कर सरगर्मी से तलाश करती रहती है। हमारे यहाँ एक और कैटगरी पाई जाती है जो दिखते कुछ और हैं और होते कुछ और हैं। ऐसे लोगों को यहां आम बोल चाल की भाषा में छुपे रुस्तम कहा जाता है। भगवान जी! एक बार हम भी आपको खोजते-खोजते जगन्नाथ पुरी तक चले गये थे। वहाँ पर आपके नाम पर स्थापित मूर्ति के प्रचंड भीड़ को पार करते हुए दर्शन करने में हमारे छक्के छूट गये। आप तक पहुँचने और निकलने के मार्ग पर जमे पन्डों ने हमारा सारा फन्ड भी पार कर दिया था। खाली जेब अस्त व्यस्त जब तक हम बाहर निकलते आदि कवि वाल्मीकि जी की आत्मा हमारे अन्दर प्रवेश कर चुकी थी और हमारे मुख से अनायास ही यह पंक्तियाँ फूट पड़ी थीं : ‘बाहर हैं पंडे खड़े भीतर हैं भगवान। मालिक तेरे नाम की अच्छी चले दूकान।’
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भगवान जी! आपकी अज्ञातवास पर बने रहने की इस अजब आदत का चालाक लोगों ने भरपूर फ़ायदा भी उठाया है। आपके नाम की तमाम फेक आई.डी. खोल कर भोलेभाले और धर्म भीरु लोगों को बेवकूफ बनाने और छलने का धन्धा ज़ोरों पर चालू हैं। हम तो समझते थे कि आप एक हैं, पर यहाँ तो आपके नाम से अनेक दिखाये जाते हैं। हर खेमा अपने वाले को दूसरे से बड़ा और असली बता रहा है। आप को लेकर यहाँ जूतमपैजार और खून खराबा आम बात बन गई है। कुछ तो इतने ढीठ हो गये हैं कि खुद को ही सरेआम भगवान डिक्लियर कर दिया है और वह काफ़ी हिट हो रहे हैं। पता नहीं आपको मालूम है या नहीं भगवान जी! आपके नाम से यहाँ ज़बरदस्त ठेकेदारी प्रथा चालू है। आप से भेंट कराने से लेकर तरह-तरह के दुख दर्द मिटाने के पैकेज यहाँ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। भगवान जी! यह सारी गड़बड़ी इसलिए हो रही है क्योंकि आप सामने नहीं आते हो। पर कुछ भी हो आपकी पापुलर्टी ज़बरदस्त है। बिना सामने आये और बग़ैर किसी से मिले आपकी फैन फालोइंग ज़बरदस्त और कमाल की है। आप कहीं भी उपस्थित नहीं हो और पूरी दुनियाँ में उपस्थित हो, है न ग़ज़ब की बात। लोग कहा करते हैं कि आप समदर्शी हो, छोटे बड़े, अमीर गरीब सबके लिए समान। हमें भी यह बात सही लगती हैं। दुर्जनों और सज्जनों दोनों पर आपकी कृपा और कुटिल दृष्टि समान देखी गई है। अभी चल रही कोरोना की महामारी ने यह साबित कर दिया है, किसी को भी नहीं बख्शा आपने। यह तो रहे भगवान जी के बारे में हमारे एकतरफ़ा उद्गार। मूल समस्या तो ज्यों की त्यों बनी हुई है। वह यह कि भगवान जी की फ्रेंड रिक्वेस्ट हम स्वीकार करें या नहीं? यह भी तो हो सकता है कि कोई शरारती फेक आई.डी. बना कर कोई करतब करना चाह रहा हो। बहुत सोच विचार कर हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि चूँकि हमने नियम बना रखा है कि लॉक्ड प्रोफ़ाइल वालों की फ्रेंड रिक्वेस्ट हम स्वीकार नहीं किया करते हैं। इसलिए यह रिक्वेस्ट भी हम स्वीकार नहीं करेंगे, चाहे वह भगवान हां या फिर भगवान दीन। भाइयों! हमने ठीक किया या नहीं, रिस्क तो बहुत बड़ा लिया है। कोई खतरा तो नहीं?
(लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के यूपी कैडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं।)
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