लम्पी स्किन डिजीज के कारण कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं का प्रवेश वर्जित

मेरठ (हि.स.)। पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज का प्रकोप के कारण गढ़मुक्तेश्वर के कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा। मेरठ के जिला प्रशासन ने हापुड़ के जिलाधिकारी के पत्र के आधार पर यह जानकारी दी है।

मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में गौवंशीय और भैंसवंशीय पशुओं में घातक वायरल बीमारी लम्पी स्किन डिजीज का प्रकोप फैला हुआ है। इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले और घांव हो जाते हैं। इससे पशु को तेज बुखार बना रहता है एवं पशु चारा खाना बंद कर देता है। गाभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है तथा पशु बांझपन के शिकार हो जाते हैं। दुधारू पशुओं का दूध लगभग समाप्त हो जाता है। यह बीमारी 03 से 06 सप्ताह तक बनी रहती है तथा ईलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ होने में 03 से 04 माह का समय लगता है। यह बीमारी गाय-भैंसों के साथ-साथ घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंट एवं हिरन प्रजाति के पशुओं को सर्वाधिक प्रभावित करती है। मेले और प्रदर्शनी में पशुओं के एक स्थान पर एकत्र होने से लक्षणविहीन किन्तु रोग के वाहक पशुओं के द्वारा यह बीमारी अन्य सभी संपर्क में आने वाले पशुओं में घातक रूप से प्रबल संभावना है।

29 अक्टूबर से गढमुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा के किनारे राजकीय स्नान मेले का आयोजन किया जाना है। इस पर्व में गंगा स्नान मेले के साथ-साथ मेले में अश्व प्रदर्शनी और अश्व विपणन का कार्य भी होता रहा है। हापुड़ के जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र में निदेशक पशुपालन विभाग द्वारा लम्पी स्किन डिजीज रोग के कारण अश्व प्रदर्शनी और विपणन मेले पर रोक लगाई गई है। इस कारण जिलाधिकारी ने कार्तिक मेले में अश्व प्रदर्शनी, विपणन में लगे व्यापारियों, आयोजकों, पशु स्वामियों एवं गंगा स्नान हेतु जाने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे गंगा स्नान मेले में किसी भी घोडे, गधे, खच्चर, गाय, बैल व भैंस को ना ले जाए। इसके साथ ही किसी भी प्रकार की पशु प्रदर्शनी का आयोजन न कराए।

कुलदीप

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