रेगिस्तान के जहाज से पहुंचाया जा रहा अंतिम छोर के गांवों तक जल जीवन मिशन का संदेश

बाड़मेर (हि. स.)। सरहदी जिले बाड़मेर में जल जीवन मिशन को कामयाब बनाने के लिए कोशिशें तेज हो गई है। विभाग के कार्मिक भारत-पाक सीमा के अंतिम छोर पर बसे गांवों के लोगों तक जल जीवन मिशन को लेकर संवाद कर रहे है। रेतीले धोरों पर आवागमन के साधन नहीं होने के कारण क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्थान के दूसरे बड़े जिले बाड़मेर में इन दिनों जल जीवन मिशन को लेकर हर गांव के ग्रामीणों से जलदाय विभाग के अधिकारी और कर्मचारी संवाद कर रहे हैं।
सरहद के अंतिम छोर पर बसे गांवों और ढाणियों तक जलदाय विभाग के अधिकारी रेगिस्तान के जहाज ऊंट पर बैठकर जा रहे हैं, ताकि हर गांव-ढाणी तक जल जीवन मिशन के संदेश को पहुंचाया जा सके।
 जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिशासी अधिकारी सोनाराम बेनीवाल बताते हैं कि जल जीवन मिशन में हर घर को नल से जोड़ा जाएगा। ऐसे में सरहद के अंतिम छोर पर बसी गांव, ढाणी के लोगों को योजना के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। कई जगहें पक्की सडक़ से जुड़ी नहीं है। इसके चलते ऊंटों पर उन गांवों-ढाणियों में पहुंचा जा रहा है।
जल जीवन मिशन के जिला आईईसी परामर्शदाता अशोक सिंह बताते हैं कि जल जीवन मिशन में सबसे महत्वपूर्ण आधार ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां हैं। जिले भर में इनके गठन के बाद इनका प्रशिक्षण चल रहा है। ऐसे में इनको उनके कर्तव्यों और अधिकारों की जानकारी देना जरूरी है। ऐसे में हर गांव तक पहुंचने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग किया जा रहा हैं। कुछ गांवों, ढाणियों तक पक्की सडक़ें नहीं हैं तो वहां ऊंटों के जरिये पहुंचा जा रहा है।
गौरतलब है कि बाड़मेर जिले में गठित 2 हजार 477 ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के कंधे पर आगामी दिनों में जल जीवन मिशन की पूरी जिम्मेदारी होगी। यही वजह है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अंतिम छोर पर बसे हर गांव, ढाणी तक पहुंच के लिए रेगिस्तान के जहाज ऊंट का सहारा ले रहे हैं।

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