‘राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी’ गीत की धूम, राममय हुई अयोध्या

लखनऊ (हि.स.)। राम आंएगे तो अंगना सजाऊंगी… यह गाना इस समय सभी की जुबां पर है, इस भजन को मशहूर गायिका स्वाति मिश्रा ने गाया है। इस समय इस गीत की चारो तरफ गूंज है, हो भी क्यों न… क्योंकि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य-दिव्य मंदिर में आ रहे हैं। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। जिसको लेकर देशभर में उत्सव जैसा माहौल है। इस समय पूरी अयोध्या लघु भारत के रूप में राममय व भगवामय हो गई है। सभी प्रदेशों से आमंत्रित अतिथियों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो पूरा देश ही भगवामय हो गया हो। इस उत्सव को धूमधाम से मनाने की तैयारियों में रामभक्त भी जी-जान से जुटे हुए हैं। इसको ध्यान में रखकर कारोबारियों ने भी तैयारियां कर रखी है।

अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का प्रतिरूप भी बाजार में उपलब्ध है। जिसको खरीदकर रामभक्त अपने-अपने घर ले जा रहे है। अपने अतिथियों को भी स्मृति चिह्न के रूप में भेंट कर रहे हैं। इसकी कीमत 150 रुपये से शुरू है। राममंदिर के प्रतिरूप को खरीदने के लिए भी लोग बाजार पहुंच रहे हैं। अयोध्या तो मानो भगवा पताका से पट गया हो, वैसे ही प्रदेश भर में भगवा पताका घर-घर, चौराहे-चौराहे सजे दिख रहे हैं। भगवा पताका का क्रेज युवाओं में अधिक है। बाजार में दुकानों पर बिकने के लिए भगवा पताकाएं आ गई हैं तो कुम्हार भी सर्दी के मौसम में मिट्टी गीली कर दीये बनाने में जुटे हैं, ताकि राम आएं तो उनके स्वागत में आंगन को दीयों से सजाया जा सके। कुम्हारों का कहना है कि भगवान श्रीराम की वजह से इस वर्ष फिर से दिवाली मनाने का मौका मिलेगा।

20 से 400 रुपये तक भगवा पताकाएं

बाजार में 20 रुपये से लेकर 400 रुपये तक का भगवा पताकाएं उपलब्ध हैं। दुकान स्वामियों के अनुसार, भगवा पताकाएं साइज के हिसाब से उपलब्ध है। एक फुट से लेकर 10 फुट तक की पताकाएं बाजार में आई हैं, जिनका रेट अलग-अलग है। बाइक और साइकिल के हैंडिल पर लगाने के लिए भगवा पताका मात्र 20 रुपये के हैं। जबकि घरों व प्रतिष्ठानों पर लगाने के लिए एक फुट की पताका 30 रुपये, दो फुट की 40 रुपये, तीन फुट की 80 रुपये, चार फुट की 150 रुपये, पांच फुट की 200 रुपये, छह फुट की 250 रुपये और 10 फुट की 400 रुपये की है। इनके अलावा जय श्रीराम लिखा हुआ बैनर भी है।

भगवा रंग का महत्व

शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने भगवा के महत्व को बताते हुए कहा कि केसरिया या भगवा रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। मान्यता है कि शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग केसरिया ही था। भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है। भगवा या केसरिया सूर्याेदय और सूर्यास्त का रंग भी है, मतलब हिन्दू की चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह।

उन्होंने कहा कि भगवा वास्तव में ऊर्जा का प्रतीक है। जीवन और मोक्ष को भगवा के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह शब्द भगवान से निकला है। यानी भगवान को मानने वालों का भगवा रंग प्रतीक बन गया।

कमलेश्वर शरण/राजेश

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