राजस्व वादों के निपटारे में Gonda ने किया टाप
एक माह में 05 वर्षों से अधिक पुराने 7971 वादों का हुआ निपटान
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। उत्तर प्रदेश में लंबित राजस्व वादों के निस्तारण में गोंडा जिले को प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। रैंकिंग में प्रयागराज दूसरे और अयोध्या तीसरे स्थान पर रहा। यह जानकारी देते हुए जिला मजिस्ट्रेट नेहा शर्मा ने मंगलवार को बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विगत 16 सितंबर 2023 को पूरे प्रदेश में लंबित नामांतरण, वरासत, पारिवारिक बंटवारे, पैमाइश जैसे आम जन से जुड़े राजस्व वादों के त्वरित और गुणवत्तापरक निस्तारण सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए थे। इस क्रम में राज्य के मुख्य सचिव और राजस्व परिषद के अध्यक्ष के स्तर से मुकदमों के निस्तारण की नियमित गहन समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप उन्होंने जिले में राजस्व वादों की सुनवाई करने वाले सभी मजिस्ट्रेटों को न्यायिक कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया था। इसका नतीजा रहा कि जिले में 16 सितंबर 2023 को लंबित 70301 राजस्व वादों के सापेक्ष 30 जून 2024 को यह संख्या घटकर 22767 पहुंच गई। उन्होंने बताया कि बीते करीब नौ माह में जिले में 47,534 राजस्व वादों का निस्तारण करके एक रिकार्ड कायम किया गया है। इससे आम जनता को बड़ी राहत मिली है।
नौ माह में 15 हजार से अधिक वाद निपटे
जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि जिले में पांच साल से अधिक अवधि के राजस्व वादों की संख्या में भी भारी कमी आई है। मजिस्ट्रेटों के सामूहिक प्रयासों से सिर्फ एक महीने में ही रिकॉर्ड 7971 वादों का निस्तारण किया गया। इसके लिए प्रदेश सरकार की रैंकिंग में गोंडा जिले को पहला स्थान मिला। उन्होंने कहा कि नामांतरण, वरासत, पारिवारिक बंटवारे, पैमाइश जैसे आम जन से जुड़े राजस्व वादों का समय पर निस्तारण मुख्यमंत्री की शीर्ष प्राथमिकता में हैं। उनकी इस मंशा को पूरा करने के लिए जिले में विशेष रणनीति के साथ काम किया गया। शुरुआत पांच साल और उससे अधिक समय से लंबित वादों के निस्तारण के साथ की गई। बीते नौ महीने में हमारी टीम ने 15000 से ज्यादा ऐसे वादों का निस्तारण किया है। जिले के लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि कर्मियों की मेहनत और कार्य कुशलता के कारण आम जन को ससमय न्याय उपलब्ध कराने की मंशा पूरी हो पा रही है।
ऐसे बदली जिले की तस्वीर
नामांतरण (धारा 34) के वादों की संख्या 32041 से घटकर 8825 हो गई। पैमाइश (धारा 24) के कुल वाद आधे से भी कम रह गए हैं। यह संख्या 2729 से घटकर 1080 पर पहुंच गई। कृषि से अकृषि घोषणा (धारा 80) से संबंधित वाद 887 से घटकर 123 रह गए। कुर्रा बंटवारा (धारा 116) के वादों की संख्या 3932 से घटकर 1725 रह गई। उन्होंने इस उपलब्धि पर राजस्व विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी है।
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