यह है नवजात शिशुओं की हार्ट सर्जरी करने वाला उप्र का इकलौता अस्पताल

केवल सर्जरी से ही संभव है जन्म जात हृदय रोगों का इलाज-प्रो. एके श्रीवास्तव

निजी क्षेत्र का पहला अस्पताल है ‘डिवाइन’ जिसका राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन और प्रधानमंत्री ने की अध्यक्षता

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। आज के बदलते परिवेश में हृदय रोग एक गंभीर समस्या बनी हुई है। हृदय रोग के साथ उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह को मिला लें तो हर 10वाँ भारतीय इन रोगों से ग्रसित है। इस रोग की उत्पत्ति मां के गर्भ से होती है। प्रत्येक 1000 बच्चों में से 8 से 10 बच्चों में यह रोग जन्मजात होता है। इस रोग के कारण एक तिहाई बच्चे अपना पहला जन्म दिवस नहीं देख पाते हैं। यह बात डिवाइन हार्ट एंड मल्टीस्पेसियल्टी हास्पिटल लखनऊ के चेयरमैन एवं वरिष्ठ हृदय रोग शल्यक प्रो. एके श्रीवास्तव ने शनिवार की देर रात गोल्डन फेयरी रिजार्ट में ‘बाल रोगी एवं नवजात शिशुओं में हृदय रोग के प्रबंधन में सर्जरी की भूमिका तथा हृदय रोग में गर्भावस्था का प्रबंधन’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बोलते हुए कही।

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प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि यह सभी रोग मनुष्य के आचार-विचार, प्रतिदिन की मानसिक तनाव एवं खानपान पर निर्भर करता है और इसके इलाज भी कई प्रकार से उपलब्ध है। लेकिन समाज में हृदय रोग का जन्मजात होना एक अलग छूटा विषय है। इसका इलाज केवल शल्य चिकित्सा द्वारा होता है। उन्होंने कहा कि दवा से केवल लक्षण नियमित होता है, रोग नहीं। करीब 35 से 40 फीसद बच्चों में दिल में छेद पाये जाने की समस्या होती है। इसके अलावा बच्चे का रंग नीला होता है। दिल में छेद होने से बच्चे को खांसी, बुखार एवं अत्यधिक सांस फूलने तथा दूध पीते समय माथे पर पसीना होना जैसे लक्षण पाए जाते हैं। अगर सही समय पर इलाज नहीं हुआ, तो बच्चे कमजोर होने लगते हैं और वजन नहीं बढ़ता है। ऐसी स्थिति में हृदय फेल होने की अधिक सम्भावनाएं हो जाती हैं जिसमें पैर में सूजन, आंख के नीचे व चेहरे पर सूजन आ जाती है। नीले बच्चों में दिल में छेद होने के साथ-साथ फेफड़े में जाने वाली नसों में सिकुड़न हो जाती है या उसका विकास सामान्य नहीं होता है। इन सभी बच्चों के इलाज से पहले इसीजी, एक्सरे, इको सीटी एंजियो पहचानने में सार्थक होते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो जन्म जात हृदय रोग का कोई स्पष्ट कारण पता नहीं होता है, लेकिन कुछ बच्चों में यह जेनेटिक रोग होने से होता है।

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उन्होंने कहा कि इलाज के मामले में अभी भी हमारा देश फिसड्डी है। इतनी बड़ी संख्या में दिल की बीमारी से जूझ रहे बच्चों में से सिर्फ 10-15 फीसदी बच्चों को ही पर्याप्त इलाज मिल पा रहा है। यही वजह है कि युवा होने से पहले तक हजारों बच्चों की इससे मौत हो जाती है। कोरोना की वजह से बच्चों में दिल की बीमारी के मामले या तो मिसडायग्नोस रहे हैं या अंडर डायग्नोस हुए हैं जो कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से चिंता की बात है। आम भाषा में समझें तो बच्चों के दिल में छेद से लेकर खून की नसों का सिकुड़ना, वॉल्व में परेशानी, आर्टरी का ब्लॉक होना आदि परेशानियां सामने आ रही हैं।गर्भावस्था के दौरान मांओं को होने वाले वायरल यानि रूबेला नवजात शिशुओं में सीएचडी की उपस्थिति के साथ गहरा संबंध पाया गया है। वहीं अगर किसी मां को मधुमेह है या वह धूम्रपान या शराब का सेवन करती है तो भी नवजात को सीएचडी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका इलाज केवल आपरेशन से ही हो सकता है, क्योंकि यह जन्म जात होता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ राजधानी में स्थित डिवाइन हार्ट हॉस्पिटल में ही इन नवजात शिशुओं का हार्ट सर्जरी होता है। बाकी सभी सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पताल के डॉक्टर इन छोटे बच्चों की शल्य चिकित्सा नहीं करते और लगभग सभी बच्चे अन्य जगहों पर इलाज के लिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि मात्र सात लोगों के साथ शुरू किए गए अस्पताल में आज 250 से अधिक डाक्टर और पैरा मेडिकल कर्मचारी हैं। यह देश का निजी क्षेत्र का पहला अस्पताल है, जिसका उद्घाटन देश के राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के कर कमलों द्वारा हुआ था तथा कार्यक्रम की अध्यश्रता देश के प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने की। इस अस्पताल में हृदय एवं सभी गंभीर रोगों का उपचार देश व विदेश के प्रतिष्ठित चिकित्सकों द्वारा किया जाता है।

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सेमिनार में देवीपाटन मण्डल के अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डा. एचडी अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरएस केसरी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एपी सिंह, डिप्टी सीएमओ डा. टीपी जायसवाल, डिवाइन हार्ट एंड मल्टीस्पेसियल्टी हास्पिटल के निदेशक एवं वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डा. पंकज श्रीवास्तव, डा. आभा श्रीवास्तव, डा. अभिषेक श्रीवास्तव, डा. पीके श्रीवास्तव, डा. ओएन पाण्डेय, डा. एनएन तिवारी, डा. मनोज कुमार सिन्हा, डा. आलोक अग्रवाल, डा. संजय त्रिपाठी, डा. पीके श्रीवास्तव, डा. पी. मिश्रा, डा. पीके अग्रवाल, डा. ऊषा अग्रवाल, डा. ललिता, डा. बीसी गुप्ता, डा. एसके कपूर, डा. अनिल तिवारी, डा. रश्मि तिवारी, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. पुण्योदय मिश्रा, डा. केएन स्वामी, डा. रेनू अग्रवाल, डा. योगेश श्रीवास्तव, डा. अमित कुमार श्रीवास्तव, डा. योगेश श्रीवास्तव, डा. अंजू अग्रवाल, डा. पुनीत श्रीवास्तव, डा. किरन राव, डा. प्रियांक, डा. राजेश मिश्रा, डा. अंकिता दयाल, डा. गुंजन, डा. एसएन मिश्रा, डा. शिवांगी राज, डा. आरबी सिंह बघेल, पंकज सिन्हा आदि उपस्थित रहे। सेमिनार में मुख्य अतिथि प्रो. श्रीवास्तव, अपर निदेशक स्वास्थ्य, सीएमओ, एडिशनल सीएमओ और डा. आभा श्रीवास्तव को अंग वस्त्रम् और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में अतिथियों का किया गया सम्मान

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महत्वपूर्ण सूचना

जिले के युवा जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार और नवागत सीडीओ गौरव कुमार की अगुवाई में जिले में बड़े बदलाव की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। दोनों युवा अधिकारी Transforming Gonda के नारे के साथ जिले के चाल, चरित्र और चेहरे में आमूल चूल परिवर्तन लाना चाहते हैं। जिले के विकास के लिए शुरू की गई अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं इसी दिशा में किए जा रहे कोशिशों का परिणाम है। आगामी 21 जून को जब पूरा विश्व योग दिवस मना रहा होगा, तब योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्म स्थली पर इन दोनों अधिकारियों ने कुछ विशेष करने का निर्णय लिया है। लक्ष्य है कि जिले की बड़ी आबादी को उस दिन योग से जोड़ा जाय। इस क्रम में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को सफल बनाने के लिए जनपद के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए YOGA DAY GONDA नाम से एक फेसबुक पेज बनाया गया है। जिला प्रशासन की तरफ से जरूरी सूचनाएं, गतिविधियों आदि की जानकारी व फोटोग्राफ इत्यादि इसी पेज पर शेयर किए जाएंगे। कृपया आप इसका महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हुए इससे जुड़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पेज को LIKE करें तथा अपने परिचितों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।

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जानकी शरण द्विवेदी
सम्पादक
www.hindustandailynews.com

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