यमुना प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी की कमेटी से रिपोर्ट तलब की

नई दिल्ली (हि.स.)। यमुना प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एनजीटी की ओर से गठित कमेटी से रिपोर्ट तलब किया है। सुनवाई के दौरान इस मामले के एमिकस क्युरी मीनाक्षी अरोड़ा ने बताया कि पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। अभी अमोनिया का लेवल 0.3 पीपीए है जो स्वीकार्य 0.9 पीपीएम से बहुत बेहतर है। इस मामले पर अगली सुनवाई दो हफ्ते के बाद होगी।
सुनवाई के दौरान मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा के बीच इस बात का भी विवाद है कि कितना पानी छोड़ा जाए। लेकिन उस मसले को यहां नहीं लाया जाना चाहिए। इस पर हरियाणा सरकार के वकील श्याम दीवान ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड की याचिका खारिज होनी चाहिए। श्याम दीवान ने कहा कि प्रदूषण दिल्ली में होता है और आरोप हरियाणा पर लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड करने की प्रक्रिया चल रही है। उसके बाद कोर्ट ने एनजीटी की ओर से गठित कमेटी से रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले में वकील मीनाक्षी अरोड़ा को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह खुद भी इस मामले पर संज्ञान ले रहा है। दिल्ली जल बोर्ड ने याचिका दाखिल कर कहा था कि हरियाणा से पीने का गंदा पानी आ रहा है, जिसमें अमोनिया की मात्रा ज्यादा है‌ पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से कैंसर जैसी बीमारी बढ़ने का खतरा ज्यादा है। याचिका में कहा गया था कि एनजीटी ने भी माना है कि हरियाणा का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सही नहीं है।
सुनवाई के दौरान मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा था कि अमोनिया की मात्रा बढ़ने के बाद दिल्ली जल बोर्ड पूरी दिल्ली के लिए पानी की आपूर्ति नहीं कर पाता है। दिल्ली जल बोर्ड ने कहा था कि उसे रोजाना 600 क्युसेक पानी की जरूरत होती है। इसमें 450 क्युसेक वैसा पानी चाहिए होता है जिसमें अमोनिया की मात्रा 0.9 पीपीएम से कम हो। दिल्ली जल बोर्ड ने कहा था कि हरियाणा से जो 300 क्युसेक पानी मिलता है उसमें अमोनिया की मात्रा काफी ज्यादा होती है। उस पानी का क्लोरिनेशन करने के बाद उससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

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