मौनी अमावस्या पर काशी में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में लगायी पुण्य की डुबकी

वाराणसी (हि.स.)। मौनी अमावस्या पर मंगलवार को खास महोदय योग में लाखों श्रद्धालुओं ने ठंड और कोहरे के बीच मौन रह गंगा में पुण्य की डुबकी लगायी। भगवान सूर्य को अध्र्य देकर गरीब या जरुरतमंदों में तिल के लड्डू, कंबल, आंवला आदि का दान किया। दान पुण्य करने के बाद श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई।

महास्नान पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं का जत्था आधी रात के बाद से ही गंगा तट पर पहुंचने लगा। ब्रम्ह मुहुर्त में गंगा स्नान को जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ वह दिन चढ़ने तक जारी रहा। गंगा स्नान के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओ की सुरक्षा में घाट और उस ओर जाने वाली सड़कों पर यातायात प्रतिबन्धित रहा। गंगाघाटों पर भी सुरक्षा का व्यापक प्रबन्ध किया गया था। गंगा में भी जल पुलिस,एनडीआरएफ के जवानो के साथ गोताखोर नावों पर मुस्तैद रहे।

गंगा स्नान दान पुण्य के लोभ में सैकड़ों श्रद्धालु सोमवार शाम से ही शहर में आने लगे थे। श्रद्धालुओं ने पुरी रात गंगा तट पर खुले आसमान के नीचे,गोदौलिया और आसपास की दुकानों की पटरियों पर भजन कीर्तन के बीच रात गुजारी। और तड़के गंगा स्नान के बाद घर को लौट गये।

महा स्नान पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर सबसे अधिक भीड़ दिखी। इसके अलावा भैेसासुर घाट ,पंचगंगा,शीतला घाट,राजेन्द्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट,सामनेघाट,खिड़कियाघाट पर भी भीड़ रही। गंगा स्नान के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही।

काशी में धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन देवी-देवता स्वर्ग लोक से आकर गंगा में वास करते हैं। इस वजह से इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पाप मिट जाते हैं और कष्ट दूर होते हैं। इस बार अमावस्या तिथि, श्रवण नक्षत्र व व्यतिपात योग के संयोग भी रहा। गंगा स्नान के बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों का पिंडदान व तर्पण भी किया।

श्रीधर

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