मेरठ : बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर में पूजा करती थी रावण की पत्नी मंदोदरी
मेरठ (हि.स.)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक और तीर्थ स्थलों की भरमार है। मेरठ सदर स्थित बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर ऐसी ही सिद्धपीठ है। दशानन रावण की पत्नी मंदोदरी प्रतिदिन इस मंदिर में पूजा करने के लिए आती थी। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मंदोदरी को दर्शन दिए थे।
मेरठ कभी मय नामक दानव की राजधानी था और इसका पुराना नाम मय दानव का खेड़ा था। उसी मय दानव की पुत्री मंदोदरी से दशानन रावण की शादी हुई थी। बताया जाता है कि पुरानी कोतवाली टीले पर मय दानव का महल था। मंदोदरी अपनी सहेलियों के साथ प्रतिदिन श्री बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर में पूजा करने के लिए आती थी। मंदिर के पास स्थित सती सरोवर में मंदोदरी पहले स्नान करती थी और इसके बाद पूजा करती थी।
भगवान शिव ने दिया था वरदानमंदोदरी भगवान शंकर की अनन्य भक्त थी। कहा जाता है कि बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में ही भगवान शिव ने मंदोदरी को दर्शन दिए थे और लंकापति रावण की पत्नी बनने का वरदान मिला था। इसी मंदिर में ही रावण का मंदोदरी से प्रथम मिलन हुआ था और मय दानव ने अपनी पुत्री का विवाह रावण से किया था।
बिल्व पत्रों के कारण ही नाम पड़ा बिल्वेश्वरबताया जाता है कि बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर के आसपास पहले बिल्व पत्रों का वन था। इसी कारण मंदिर को बिल्वेश्वर नाथ मंदिर कहा जाने लगा। इस मंदिर की बनावट आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के गुंबद विशेष प्रकार से बने हैं और मंदिर के द्वार बहुत छोटे हैं। बिल्वेश्वर नाथ मंदिर का मुख्य द्वार बद्रीनाथ मंदिर के समान है। मंदिर के अंदर पीतल के बड़े-बड़े घंटे टंगे हुए हैं।
बिल्वेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी का कहना है कि सच्चे मन से भगवान शंकर से मांगने वाले की मनोकामना जरूरी पूरी होती है। इस सिद्धपीठ में सावन शिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में गणेशजी, मां पार्वती, श्री भैरव जी के मंदिर है।
सती सरोवर बन गया भैंसाली मैदानजिस सती सरोवर में मंदोदरी स्नान किया करती थी। वह स्थान आज भैंसाली मैदान बन गया है। बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं आज भी मौजूद है। इस कुएं के जल से ही मंदोदरी जल लेकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करती थी।