मानव जीवन को प्रभावित कर रहा जलवायु परिवर्तन

‘सीएमएस विश्व वॉयस’ कार्यक्रम में डा. हीरालाल ने दिए दिए बच्चों के प्रश्नों के जवाब

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। जलवायु परिवर्तन हमारी भोजन उत्पादन की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। यह भोजन की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य के साथ-साथ पानी, मिट्टी और जैव विविधता की गुणवत्ता को भी बदल रहा है। एक्सट्रीम वेदर के कारण फसलों में लगने वाले कीटों और रोगों के पैटर्न में भी बदलाव हो रहा है। इन प्रतिकूल प्रभावों के चलते फसलों की पैदावार, पशुधन उत्पादकता और खाद्य उत्पादन में योगदान देने वाले मत्स्य पालन और जलीय कृषि की क्षमता भी कम हो रही है। यह बात उत्तर प्रदेश शासन में विशेष सचिव सिंचाई एवं जलस्रोत के पद पर तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डॉ. हीरा लाल ने सिटी मांटेसरी स्कूल के रेडियो कार्यक्रम ‘सीएमएस विश्व वॉयस’ में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग करते हुए छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कही।
कार्यक्रम के शुरुआत में उन्होंने जलवायु की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह किसी क्षेत्र विशेष में दीर्घकालिक मौसम पैटर्न है, जिसका सामान्यतया 30 वर्षों में होता है। जलवायु प्रणाली के घटकों में वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल, जीवमंडल तथा उनके बीच की परस्पर क्रिया शामिल हैं। किसी स्थान की जलवायु उसके अक्षांश, देशांतर, भूभाग, ऊंचाई, भूमि उपयोग और आसपास के जल निकायों और उनकी धाराओं से प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए हमें निजी स्तर से इस लड़ाई को लड़ने की शुरुआत करनी होगी। साथ ही, हमें इसके साथ अपनी जीवनशैली का अनुकूलन भी करना होगा। उत्तर प्रदेश में आज जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ लड़ाई ग्राम पंचायत स्तर पर शुरू की जा चुकी है। इसके स्थानीय महत्व को समझते हुए सरकार ने ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में आपदा जोखि़म न्यूनीकरण के साथ जलवायु परिवर्तन का समावेश कराया है। उन्होंने कहा कि अधिक सब्जियां, फल, साबुत अनाज, फलियां, मेवे और बीज खाने से तथा कम मांस और डेयरी उत्पादों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है। पौधे आधारित खाद्य पदार्थों के उत्पादन से आम तौर पर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है और इसके लिए कम ऊर्जा, भूमि और पानी की आवश्यकता होती है। चर्चा के दौरान उन्होंने धान की फसल का उदाहरण देकर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि छात्र देश के भविष्य हैं। हम कुछ छोटे-छोटे और सरल कदमों से धरती माता को बचाकर खुद को बचा सकते हैं। रेडियो कार्यक्रम के दौरान डॉ. लाल ने पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर बच्चों के अनेक सवालों के जवाब दिए।
सीएमएस प्रबंधक प्रोफेसर गीता गांधी किंडन के सहयोग से सीएमएस कानपुर रोड के रेडियो स्टूडियो द्वारा प्रसारित इस कार्यक्रम में संस्थापक भारती गांधी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। प्रिंसिपल विनीता कामरान ने छात्रों को पर्यावरण केंद्रित कार्यक्रम में उनकी भागीदारी के लिए शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम को सीएमएस मल्टीमीडिया के प्रमुख आरके सिंह और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रमुख डॉ. शिशिर श्रीवास्तव का पूर्ण सहयोग मिला। सीएमएस विश्व वॉयस के प्रभारी हर्ष ने कार्यक्रम के मेजबान के रूप में कार्य किया। छात्रों ने उन्हें यह अवसर प्रदान करने के लिए सीएमएस प्रबंधन की सराहना की। इस मौके पर सीएमएस गोमती नगर कैम्पस वन से गरिमा राठी, सीएमएस जापलिंग रोड से मनन दीक्षित समेत सीएमएस कानपुर रोड के छात्र प्लाक्षा, अद्वैत, आरना सक्सेना, अंश, नवनीत कौर, अरिजीत घोष, अरविंद कौर, अनिका चौरसिया, तेजस त्रिपाठी, आनंद प्रताप सिंह, अर्नव तिवारी आदि शामिल रहे।

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