माँ मंगला गौरी के दरबार में उमड़े भक्त, लगाई गुहार

-यहां पांडवों ने बिताया था अज्ञातवास

कुशीनगर(हि. स.)। नवरात्रि के प्रथम दिन कुशीनगर के माँ मंगलागौरी के दरबार में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने माथा टेक माता से सुख, समृद्धि के साथ विशेष मन्नतों के पूरा होने की गुहार लगाई।

कुशीनगर के कसया तहसील के मैनपुर गांव में स्थित माता के स्थान पर पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ देर विश्राम किया था।

जनश्रुतियों के मुताबिक मैनपुर कोट देवी मंदिर महाभारत कालीन है। उस समय यह क्षेत्र देवारण्य के रूप में विख्यात था। क्षेत्र बेतों के घने जंगल से घिरा था। माँ मंगला गौरी को बंजारे कुल देवी के रूप में पूजते थे। आज भी आसपास क्षेत्र में मौजूद बेंत इसकी गवाही देते हैं। मन्दिर प्रबंधन ने देवी दरबार को इस वर्ष फूलों से सजाया है। प्रतिवर्ष दोनों नवरात्र में इस मंदिर पर यूपी व बिहार के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। माना जाता है कि जो भी मां के दरबार में हाजिरी देता है उसकी मन्नत जरूर पूरी होती हैं।

मंदिर के पुजारी मोहन दास उर्फ मौनी बाबा ने बताया कि देवी दरबार को सजाने के लिए बनारस से रंग-बिरंगे गेंदा व चमेली के फूल फूलों की खेप मंगाई गई है। दो दिन पूर्व से ही कुशल कारीगर कार्य कर मंदिर को सजाने संवारने में जुटे हैं।

दुर्गा शप्तसती में वर्णित है कुलकुला स्थान

कसया से लगभग सात किलोमीटर दूर कुड़वा दिलीप नगर गांव में घने जंगल के बीच तीन नदियों के संगम स्थल के समीप कुलकुला देवी का स्थान है। इस स्थल पर देवी के अवतरित होने का श्रेय रहसू गुरु को दिया जाता है। लोगों की धारणा है कि उनके आह्वान पर बंगाल के कंवरु कामाच्छा से चलीं देवी मदनपुर जाने से पूर्व कुछ क्षण यहां विश्राम की थीं। देवी अराधना के प्रमुख ग्रंथ दुर्गा शप्तसती में भी इस स्थल का वर्णन मिलता है। प्रत्येक वर्ष यहां चैत्र नवरात्र में एक माह का मेला लगता है। यहां यूपी और बिहार से भी श्रद्धालु आते हैं। यहां भी श्रद्धालुओं की भीड़ पूजन पाठ के लिए उमड़ पड़ी।

गोपाल

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