मध्य एशिया में अभी दूर की कौड़ी है शांति की राह

अतुल द्विवेदी

मध्य पूर्व और मध्य एशिया का इतिहास साम्राज्यवादी हस्तक्षेपों, क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और युद्धों की जटिल कहानी से भरा हुआ है। ओटोमन साम्राज्य के पतन के बाद, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान साइक्स-पिकोट समझौते ने इस क्षेत्र को यूरोपीय शक्तियों के बीच बांट दिया, जिससे आधुनिक देशों की सीमाएं बनीं। इस विभाजन ने स्थानीय आबादी में असंतोष को जन्म दिया, जो बाद में कई संघर्षों का कारण बना। 1948 में इज़रायल की स्थापना और उसके बाद हुए अरब-इज़रायल युद्धों ने इस क्षेत्र में एक नया तनाव पैदा किया। ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति ने मध्य पूर्व की राजनीति को और जटिल बना दिया। इस क्रांति के बाद, ईरान ने शिया इस्लाम के आधार पर एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभरकर अमेरिका, इज़रायल और सुन्नी बहुल देशों जैसे सऊदी अरब के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत की। इसके जवाब में, पश्चिमी शक्तियों और उनके सहयोगियों ने ईरान को रोकने की कोशिश की, जिससे प्रॉक्सी युद्धों की शुरुआत हुई। सीरिया में बशर अल-असद का शासन, जो ईरान और रूस का सहयोगी रहा, इस शक्ति संतुलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। हूती विद्रोही, हमास और हिज़बुल्लाह जैसे समूहों को ईरान का समर्थन मिला, जिसने क्षेत्र को एक शीत युद्ध जैसे परिदृश्य में बदल दिया।

यह भी पढें : अश्लीलता क्या है? कौन तय करेगा? पुलिस!

अमेरिका ने 9/11 के हमलों के बाद मध्य एशिया और मध्य पूर्व में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई। अफगानिस्तान (2001) और इराक (2003) में हस्तक्षेप ने स्थानीय समूहों में पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ असंतोष को बढ़ाया। सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृहयुद्ध भी इसी व्यापक संदर्भ का हिस्सा था, जिसमें असद सरकार के खिलाफ विद्रोहियों ने विदेशी समर्थन के साथ लड़ाई शुरू की। यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वर्तमान संकट को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। सीरिया में बशर अल-असद का शासन दशकों तक क्षेत्रीय स्थिरता और अस्थिरता का एक प्रमुख कारक रहा। उनके पिता हाफ़िज़ अल-असद ने 1970 में सत्ता हासिल की थी, और बशर ने 2000 में उनके निधन के बाद सत्ता संभाली। 2011 में अरब वसंत के दौरान शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों को असद सरकार ने हिंसक रूप से दबाया, जिससे गृहयुद्ध शुरू हो गया। इस युद्ध में रूस और ईरान ने असद का समर्थन किया, जबकि अमेरिका, तुर्की और कुछ खाड़ी देशों ने विद्रोहियों को सहायता दी। मार्च 2025 तक की स्थिति में एक नाटकीय मोड़ आया, जब दिसंबर 2024 में विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम ने एक तेज़ और प्रभावी हमले की शुरुआत की। नवंबर 2024 के अंत में शुरू हुए इस अभियान ने सीरिया के प्रमुख शहरों जैसे होम्स और अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। 8 दिसंबर, 2024 को विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क में प्रवेश किया, और खबरें आईं कि बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं। रूसी राज्य मीडिया और ईरानी अधिकारियों के अनुसार, असद को रूस ने शरण दी और वह मॉस्को पहुंच गए। यह दावा असद के एक बयान से भी पुष्ट हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि वह देश छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन रूस ने उन्हें हवाई मार्ग से निकाला। असद के भागने की खबर ने सीरिया में 13 साल के गृहयुद्ध और उनके परिवार के 50 साल के शासन को समाप्त कर दिया। दमिश्क में विद्रोहियों का प्रवेश बिना किसी बड़े प्रतिरोध के हुआ, जिससे संकेत मिलता है कि सीरियाई सेना और सरकार पूरी तरह से ढह गई थी। स्थानीय लोगों ने सड़कों पर उत्सव मनाया, असद की मूर्तियों को तोड़ा और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। विद्रोहियों ने कुख्यात सायेदनाया जेल को भी खोल दिया, जहां से सैकड़ों राजनीतिक कैदी रिहा हुए।

यह भी पढें : हर साल नई तिथि से क्यों शुरू होता विक्रम संवत

इस घटना ने क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को हिला दिया। ईरान और रूस, जो असद के प्रमुख समर्थक थे, के लिए यह एक बड़ा झटका था। ईरान ने अपनी सेनाओं को सीरिया से लगभग पूरी तरह से वापस बुला लिया, जबकि रूस ने अपने सैन्य ठिकानों को बचाने की कोशिश की। दूसरी ओर, तुर्की, जिसने विद्रोहियों का समर्थन किया, इस जीत से मजबूत हुआ। असद के भागने से सीरिया में एक शक्ति शून्य पैदा हो गया, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न समूहों के बीच सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो सकता है। डिएगो गार्सिया, हिंद महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीप, अमेरिका के लिए एक रणनीतिक सैन्य अड्डा है। यह ब्रिटिश क्षेत्र है, लेकिन अमेरिका इसे लंबे समय से अपने सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल करता है। मार्च 2025 तक, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और सीरिया में असद के पतन के बाद, अमेरिका ने डिएगो गार्सिया में अपनी सैन्य तैयारियों को तेज़ कर दिया है। यह कदम क्षेत्र में ईरान, हूती विद्रोहियों और अन्य संभावित खतरों के जवाब में उठाया गया है।

यह भी पढें : इलाहाबाद भेजे गए जस्टिस वर्मा, नहीं करेंगे न्यायिक कार्य

अमेरिकी रक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, डिएगो गार्सिया में बी-52 बमवर्षक विमानों, ड्रोन और अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। यह अड्डा मध्य पूर्व और मध्य एशिया के लिए एक महत्वपूर्ण लॉन्चिंग पॉइंट है, जहां से अमेरिका हवाई हमले और निगरानी अभियान चला सकता है। मार्च 2025 में, ट्रम्प प्रशासन ने घोषणा की कि वह हूती विद्रोहियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज़ करेगा, जो यमन से लाल सागर में जहाज़ों पर हमले कर रहे हैं। डिएगो गार्सिया से संचालित ड्रोन हमलों ने हूती ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें दर्जनों विद्रोहियों की मौत की खबरें आईं। सीरिया में असद के पतन के बाद, अमेरिका ने वहां अपनी सैन्य मौजूदगी को बनाए रखने का फैसला किया। पूर्वी सीरिया में तैनात लगभग 900 अमेरिकी सैनिकों को तेल और गैस संसाधनों की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है, ताकि वे विद्रोहियों या अन्य समूहों के हाथों में न जाएं। डिएगो गार्सिया से संचालित निगरानी उड़ानों ने सीरिया, ईरान और यमन में गतिविधियों पर नज़र रखी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इस क्षेत्र में ईरान के प्रभाव को कम करने और रूस के सैन्य ठिकानों को निष्क्रिय करने की रणनीति पर काम कर रहा है। हालांकि, डिएगो गार्सिया में ये तैयारियां विवादों से मुक्त नहीं हैं। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर तब जब ईरान और उसके सहयोगी जवाबी कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं। इसके अलावा, यह सैन्य अड्डा पहले से ही पर्यावरण और मानवाधिकार विवादों में घिरा हुआ है, क्योंकि मूल चागोसियन आबादी को 1970 के दशक में वहां से हटा दिया गया था। फिर भी, अमेरिका के लिए डिएगो गार्सिया एक अपरिहार्य रणनीतिक संपत्ति बना हुआ है।

यह भी पढें : काठमांडू में हिंसा के बाद कर्फ्यू, सेना तैनात

अमेरिका मध्य पूर्व में अपनी सैन्य और कूटनीतिक शक्ति के कारण एक प्रमुख खिलाड़ी है। मार्च 2025 तक, ट्रम्प प्रशासन ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ आक्रामक सैन्य कार्रवाई शुरू की है। 15 मार्च, 2025 को शुरू हुए हवाई हमलों ने यमन में हूती ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 53 लोगों की मौत की खबरें हैं। ट्रम्प ने कहा है कि हूतियों को “पूरी तरह से नष्ट“ कर दिया जाएगा, अगर वे लाल सागर में हमले बंद नहीं करते। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने इन हमलों को 24/7 जारी रखने की घोषणा की है। इनका उद्देश्य हूतियों की सैन्य क्षमता को कम करना और क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को फिर से स्थापित करना है। ट्रम्प की यह नीति बाइडन प्रशासन से अलग है, जिसने हूतियों के खिलाफ सीमित कार्रवाई की थी। अमेरिका ने ईरान पर भी नए प्रतिबंध लगाए हैं, उसे हूती और अन्य समूहों का समर्थक ठहराया है। सीरिया में असद के पतन के बाद, अमेरिका ने वहां अपनी नीति को समायोजित किया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि वह स्थिति पर नज़र रख रहा है और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ संपर्क में है। अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी को “स्थिति-आधारित“ बताया गया है, जिसका मतलब है कि वे अनिश्चित काल तक वहां रह सकते हैं। यह नीति ईरान के प्रभाव को रोकने और तेल संसाधनों की सुरक्षा पर केंद्रित है। इज़रायल और हमास के बीच तनाव मार्च 2025 में चरम पर है। जनवरी 2025 में दो महीने के युद्धविराम के बाद, इज़रायल ने 18 मार्च को गाज़ा पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू किए। इन हमलों में सैकड़ों फिलिस्तीनी मारे गए, जिसमें हमास के प्रवक्ता अब्देल-लतीफ अल-कनौआ भी शामिल थे। इज़रायल का कहना है कि ये हमले बंधकों को रिहा करने और हमास को खत्म करने के लिए हैं। हमास ने इसे युद्धविराम के उल्लंघन का आरोप लगाया।

यह भी पढें : UP : मौलाना ने सलमान को इसलिए कहा शरीयत के मुजरिम!

गाज़ा में मानवीय संकट गहरा गया है। इज़रायल ने 16 दिनों से वहां आपूर्ति पर रोक लगा रखी है, जिससे 23 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाज़ा में अब तक 50,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। हमास ने जवाब में रॉकेट हमले किए हैं, लेकिन उनकी तीव्रता कम है। यह स्थिति क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा रही है। हूती विद्रोही, ईरान के समर्थन से, मार्च 2025 में इज़रायल और अमेरिका पर हमले तेज़ कर रहे हैं। 27 मार्च को, उन्होंने यमन से बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जो इज़रायल में सायरन बजाने का कारण बनीं। वे गाज़ा के समर्थन में ये हमले कर रहे हैं। ईरान ने हूतियों को तकनीकी सहायता दी है, लेकिन सीधे संघर्ष से दूरी बनाए रखी है। ईरान की स्थिति कमज़ोर हुई है, लेकिन वह अपनी “प्रतिरोध की धुरी“ को मजबूत कर रहा है। अमेरिका और इज़रायल उसे हूती हमलों के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अगर ईरान पर हमला हुआ, तो यह एक बड़े युद्ध का कारण बन सकता है।

पोर्टल की सभी खबरों को पढ़ने के लिए हमारे वाट्सऐप चैनल को फालो करें : https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h

यह भी पढें : जब गीत बना दर्द का आईना

हमारी अन्य खबरों को सीधे पोर्टल पर जाकर भी पढ़ सकते हैं। इसके लिए क्लिक करें : www.hindustandailynews.com

कलमकारों से ..

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी सम्पादक मोबाइल 09452137310 E-Mail : jsdwivedi68@gmail.com

error: Content is protected !!