मधुमक्खी पालन से जुड़े देश के लघु कृषकों की आय में हुई वृद्धि

कानपुर (हि.स.)। देश के बदलते कृषि परिदृश्य में पोषण सुरक्षा और सतत खाद्यान्न उत्पादन के लिए जैविक और प्राकृतिक कृषि की तरफ केंद्रित हो रहा है। वैज्ञानिक विधि से मधुमक्खी पालन ने लघु कृषकों की आजीविका पर उनके बटुए में अच्छी मात्रा में आय की वृद्धि होने के साथ गहरा प्रभाव डाला है। यह जानकारी बुधवार को कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान कानपुर के निदेशक डॉ.यू.एस.गौतम ने दी।

उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन को एक बहुत ही लाभप्रद और पर्यावरण अनुकूल कृषि व्यवसाय का मॉडल माना जाता है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम की 91वीं कड़ी में कहा था कि शहद की मिठास हमारे कृषकों की आय को बढ़ा करके उनके जीवन को बदल रही है। इसी क्रम में उन्होंने देश के युवाओं को उद्यमिता की भावना से मधुमक्खी पालन के व्यावसायिक अवसरों को खोजने और इसकी नई संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया था। इस एपिसोड में उन्होंने हरियाणा, जम्मू और उत्तर प्रदेश के तीन सफल मधु पालकों की सराहना भी की थी। प्रधानमंत्री ने इस कड़ी में मधुमक्खी पालन की महत्ता पर बल दिया था।और कहा था यह व्यवसाय पोषण सुरक्षा व पर्यावरण अनुकूल है।

मन की बात से प्रेरित हुए 27.5 फीसदी किसान, आय में हुई वृद्धि

डॉ.गौतम ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने “मधुमक्खी पालन द्वारा कृषि उद्यमिता और टिकाऊ आजीविका को बढ़ावा” विषय पर अध्ययन किया। जिसमें पाया गया कि कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा मधु पालन को बढ़ावा देने हेतु प्रदर्शन,प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अध्ययन में पाया गया कि मधुमक्खी पालन से होने वाले लाभ व मन की बात द्वारा क्रमश: 27.5 और 22.5 प्रतिशत मधुमक्खी पालकों को प्रेरित किया है। अध्ययन में शामिल कृषकों में से सामूहिक मधुमक्खी पालकों की मधुमक्खी पालन से औसत आय (प्रति 50 मधुमक्खी छत्ते से) 1,28,328 रुपए व व्यक्तिगत मधुमक्खी पालकों की अवस्थाएं 95,947 रुपए पाई गई।

मन की बात ने मधुमक्खी पालकों में भरा जोश

मन की बात कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन पर प्रधानमंत्री के बात करने से कृषकों द्वारा व्यावसायिक दृष्टि से प्रभाव पड़ा है। क्योंकि इसके बाद विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा इस व्यावसायिक सहायता के लिए सक्रिय प्रयास होने लगे हैं। भारत में मधुमक्खी पालन विकासशील अवस्था में है फिर भी संस्थागत हस्तक्षेप, नीतिगत सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन ने मधुमक्खी पालन के लिए वातावरण तैयार किया है। इसके लिए हाल ही में हुए मन की बात कार्यक्रम से जनसाधारण में बढ़ी जागरूकता ने सहयोग किया है।

राम बहादुर

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