मथुरा: भादौं की अंधेरी रात में फिर जन्में लीलाधर श्रीकृष्ण
-हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की से गूंजा जन्मस्थान
मथुरा (हि.स.)। जन-जन के आराध्य श्रीकृष्ण कन्हैया ने सोमवार रात्रि भादौं की अंधेरी रात में फिर जन्म ले लिया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में मध्यरात्रि को 12 बजे जैसे ही भगवान कृष्ण का प्राकट्य हुआ। हर तरफ बधाई गूंजने लगी। घंटे-घड़ियाल और शंखनाद की ध्वनि आसमान तक पहुंची। भगवान के जयकारे लगने लगे। हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की। हर तरफ जश्न का माहौल था। श्रीकृष्ण जन्मस्थान में देश विदेश के हजारों श्रद्धालुगण अपने कान्हा के जन्म के साक्षी बने। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हजारों भक्त इन पलों में ठाकुरजी के दर्शन कर भावविभोर हो गए।
सोमवार को लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव था। लाला के आगमन की खुशियां ब्रज के हर घर में सुबह से पसरी थीं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर सुबह छह बजे मंगला आरती के बाद पुष्पांजलि अर्पित की गई। भागवत भवन में युगल सरकार जब रेशम, जरी, लता-पताओं से सजी हरिचंद्रिका पोशाक पहन इठलाए, तो श्रद्धालु छवि निहार धन्य हो गए। जैसे-जैसे रात गहराती रही, उल्लास चरम की ओर बढ़ता गया। पूरे परिसर में सुगंधित द्रव्य का छिड़काव हुआ। रात 11 बजे भगवान श्री गणेश, नवगृह पूजन और सहस्त्रवाचन के साथ ही लाला के जन्म की तैयारियां तेज हो गईं। श्रीराम जन्मभूमि निर्माण न्यास और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की अस्वस्थता के कारण अनुपस्थिति में पूजन की जिम्मेदारी पूजाचार्यों के साथ श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने संभाली। घड़ी ने रात के 12 बजे की ओर इशारा किया, तो कन्हाई के चलित विग्रह को मोरछल आसन पर भागवत भवन लाया गया। रजत कमल पुष्प पर विराजे ठाकुर जी का स्वर्ण मंडित रजत से निर्मित गाय ने दुग्धाभिषेक किया। लाखों की भीड़ इस अद्भुत पल की साक्षी बनी, तो खुशियों की थाह नहीं रही। इधर, कान्हा ने जन्म लिया और उधर, पूरे ब्रज ने घरों से शंखनाद और घंटा बजाकर उनका जोरदार स्वागत किया। रात डेढ़ बजे तक लाला के दर्शन को पट खुले, तो भक्तों की भीड़ दर्शन को भागती सी रही। इससे पूर्व सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूरे दिन विशेष आयोजन होते रहे। जबकि अन्य जिलों में भी इसको लेकर लोगों में अपार उत्साह है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहली बार मथुरा जाकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन में शामिल हुए। योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर पहली बार बतौर मुख्यमंत्री जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मोत्सव कार्यक्रम में भाग लिया। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर उन्होंने कहा कि मैं वृंदावन बिहारी लाल से प्रार्थना करने आया हूं कि जैसे आपने अनेक राक्षसों का अंत किया था, वैसे ही कोरोना रूपी राक्षस का भी अंत करने की कृपा करें।
सजाए गए मंदिर-देवालय
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान न सिर्फ श्रीकृष्ण जन्मस्थान और समूचे शहर को सजाया गया। वरना शहर के लगभग सभी देवालय-मंदिर सजा दिए गए। यहां तक कि गली-मोहल्लों के मंदिरों को भी भक्तों ने अपने तरीके से सजाया। अशोक के पत्तों की बंदनवान लगाई। कागज और विद्युत झालरें लगाईं गईं। साड़ियों से सजावट की गई। मंदिरों में भक्तगणों ने भजन कीर्तन कर पुण्य लाभ कमाया। ब्रज के करीब 8 हजार मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया था।