भारत में भी लगेगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज: गुलेरिया

नई दिल्ली । कोरोना वायरस की बूस्टर डोज को लेकर अलग-अलग देशों में तैयारियां चल रही हैं। इजरायल और अमेरिका में इसके लिए अप्रूवल भी मिल चुका है। इस बीच भारत में बूस्टर डोज को लेकर किए गए सवाल पर एम्स डायरेक्टर ने कहा कि पर्याप्त आंकड़े न होने की बात कही है। डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में अगले साल की शुरुआत तक इस संबंध में अधिक जानकारी मिल पाएगी। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि यहां तक कि अधिक उम्र वालों और हाई रिस्क वालों के संबंध में भी आंकड़ा नहीं है, जिससे तय किया जा सके कि बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं। गुलेरिया ने कहा कि यह जानने के लिए कि वैक्सीन से किस स्तर की सुरक्षा मिल रही है, यह जानने के लिए आंकड़ों की जरूरत होगी। अभी सूचनाएं मिल रही हैं। शायद अगले साल की शुरुआत तक हम यह बता पाएंगे कि हमारे यहां किस तरह के बूस्टर डोज की जरूरत है। साथ ही यह भी पता लगा सकेंगे कि कितने लोगों को बूस्टर डोज लगाई जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इससे जुडे़ कई सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं। मसलन, क्या उपलब्ध वैक्सीनों में से ही बूस्टर डोज लगाई जाएगी? क्या बूस्टर डोज के लिए दो वैक्सीन को मिक्स किया जाएगा? क्या बूस्टर डोज के लिए नई वैक्सीन बनाई जाएगी या वही वैक्सीन लगेगी? इन सवालों के जवाब मिलने के बाद ही इस संबंध में रणनीति बनाई जा सकेगी। डॉक्टर गुलेरिया ने जोर देकर यह बात कही कि देश और दुनिया में वैक्सीन लगवा चुके लोग इस महामारी से पूरी तरह से सुरक्षित हैं। अब अगर यह संक्रमण का शिकार भी होते हैं तो इन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आएगी। मेडिकल की भाषा में बूस्टर डोज वह डोज है जो प्राइमरी वैक्सीनेशन कंप्लीट होने के बाद किसी को लगाई जाती है। अगर कहीं पर कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगाए जाने का प्रावधान है तो तीसरी डोज को बूस्टर डोज कहा जाएगा। वहीं जहां वैक्सीन की तीन डोज लगाए जाने का प्रावधान है, वहां पर चौथी डोज को बूस्टर डोज कहा जाएगा। बता दें कि बूस्टर डोज तभी लगाया जाता है जब इसकी जरूरत होती है। गौरतलब है कि भारत में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत जनवरी में हुई थी। शुरुआती दौर में कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाई गई थीं।

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