बुजुर्गों का रखें विशेष ध्यान, जिससे भूलने की बीमारी न कर पाए परेशान
‘विश्व अल्जाइमर्स दिवस’ (21 सितम्बर) पर विशेष
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर को निशाना बनाने लगती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स – डिमेंशिया) की है। उन बुजुर्गों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जिन्हें अल्जाइमर है। इसीलिए लोगों को सचेत कर इस बीमारी से बचाने के लिए हर साल 21 सितम्बर को दुनियाभर में ‘विश्व अल्जाइमर्स दिवस’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समाज में जागरुकता लाना है, ताकि घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाई जा सके। इस वर्ष अल्जाइमर्स दिवस “ज्ञान की शक्ति” (द पॉवर ऑफ नॉलेज) थीम पर मनाया जाएगा। मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ नूपुर पॉल का कहना है कि भूलने की बीमारी को ‘अल्जाइमर’ कहते हैं। प्रायः लोग अल्जाइमर रोग को सामान्य लक्षण समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि यह पीड़ित व्यक्ति के लिए गंभीर भी हो सकती है। ऐसे मरीजों के इलाज में दवा के साथ-साथ रोगी और उसके परिजन को कॉउंसलिंग की जरूरत होती है। यह बीमारी अक्सर 60 से ज्यादा की उम्र के लोगों को होती है। घर के बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनका विशेष ध्यान रखें, अपनेपन की भावना रख उन्हें कभी भी अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नज़रअंदाज बिल्कुल न करें बल्कि उन्हें ध्यान से सुनें। ऐसा कुछ करें कि उनका मन व्यस्त रहे, उनकी मनपसंद की चीजों का ख्याल रखें। निर्धारित समय पर उनके सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें।
बार-बार बातों और प्रश्नों को दोहराने की आदत, हाल में की गई बात भूल जाना, चीजें रख कर भूल जाना और फिर न मिलने पर गुस्सा आना या ब्लड-प्रेशर हाई होना, जानी-पहचानी जगहों में खो जाना, रोजमर्रा की वस्तुओं और करीबी लोगों के नाम भूल जाना, वस्तुओं की पहचान करने, विचार व्यक्त करने या बातचीत में भाग लेने के लिए सही शब्द खोजने में परेशानी होना, रात में नींद न आना, आंखों की रोशनी कम होने लगना, याद करने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ना, डिप्रेशन में रहना और डर लगना इस बीमारी के खास लक्षण हैं। सोशल साईकियाट्रिक वर्कर उमेश भारद्वाज ने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही खु दो मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें। हमेशा सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न रखें। नोडल अधिकारी डॉ आदित्य वर्मा ने बताया कि 24 सितम्बर तक चलने वाले डिमेंशिया जागरुकता सप्ताह के दौरान विविध आयोजन किये जायेंगे। इसके तहत संगोष्ठी, अर्बन स्लम कैंप, वृद्धाश्रम में शिविर आयोजित किये जायेंगे। सीएमओ डॉ रश्मि वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संचालित “नेशनल प्रोग्राम फॉर द हेल्थ केयर ऑफ़ एल्डर्ली” (एनपीएचसीई) के तहत वरिष्ठ नागरिकों वृद्धजनों के समुचित उपचार पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जनपद में इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सक और स्टाफ की तैनाती भी है। मन-कक्ष की भी व्यवस्था की गयी है, जहाँ पर काउंसलिंग से लेकर इलाज तक की सुविधा दी जाती है।
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