बिजली चोर को दिनभर कोर्ट में खड़े रहने की मिली सजा
जज ने कहा, अपराध हुआ है तो सजा मिलना भी तय
राज्य डेस्क
नई दिल्ली। बिजली चोरी के एक मामले में अदालत ने एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है। हालांकि इस व्यक्ति ने बिजली कंपनी को उसका बकाया दे दिया है, लेकिन अदालत ने कहा कि बिजली चोरी का अपराध साबित हुआ है और जब अपराध हुआ है तो सजा भी मिलना जरूरी है। इसलिए बिजली चोरी के अपराधी को अदालती कार्यवाही के दौरान दिनभर कोर्ट रूम में खड़े रहने की सजा सुनाई जाती है। तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विद्या प्रकाश ने दोषी शमीम को कोर्ट रूम में खड़े रहने की सजा सुनाते हुए कहा कि बिजली कंपनी की तरफ से कहा गया है कि शमीम ने कंपनी के बकाया रकम की भरपाई कर दी है। ऐसे में अदालत चाहे तो उसे छोड़ सकती है। अदालत ने कहा कि बिजली चोरी के इस मामले में बकायदा पूरी सुनवाई चली है। गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं और तकनीकी साक्ष्यों पर गहनता से जांच की गई है। तमाम साक्ष्य व गवाह से साबित हुआ है कि आरोपी शमीम सीधे मेन लाइन से बिजली चोरी कर रहा था। अब क्योंकि अपराध हुआ है तो सजा भी होना तय है। अदालत ने कहा कि इसके पीछे एक वजह और भी है। इस मामले में दोषी को एक अपराध के लिए साज सुनाए जाने से उसका आपराधिक रिकॉर्ड तैयार होता है। अगर उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है तो उसके पूर्व में कृत्य को रिकॉर्ड पर लाना संभव नहीं है, जोकि अनिवार्य है। भविष्य में दोषी द्वारा गलत कृत्य किए जाने पर यह अपराध भी उसमें गिना जाएगा।