बलिया में चन्द्रशेखर की राजनीतिक विरासत को लेकर छिड़ी है चुनावी जंग

बलिया (हि.स.)। पूर्वांचल में वाराणसी के बाद बलिया वह अहम संसदीय सीट है, जहां ‘विरासत’ को लेकर दोनों गठबंधन के अपने-अपने दावे हैं। एक तरफ चन्द्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर भगवा झंडा लेकर पिता की राजनीतिक विरासत को अपने पास रखने की कोशिश में जुटे हैं।दूसरी ओर खुद को समाजवादी बताने वाले सपा प्रत्याशी सनातन पाण्डेय चन्द्रशेखर को अपना मान रहे हैं।

बलिया वह संसदीय सीट है, जहां से आठ बार सांसद चुने गए चन्द्रशेखर एक बार देश के प्रधानमंत्री भी रहे। उनके निधन के बाद 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के आम चुनाव में नीरज शेखर लोकसभा सांसद बने। नीरज शेखर 2014 के लोकसभा चुनाव में पिता की विरासत नहीं बचा पाए थे। मोदी लहर में वह भाजपा के भरत सिंह से मात खा गए थे। जिसके बाद सपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था। 2019 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया था तब उन्होंने भगवा खेमे में एंट्री ले ली थी। फिर भाजपा ने भी उन्हें राज्यसभा सांसद भेज दिया था। इस बार भाजपा ने उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि उनके सामने इंडी गठबंधन के घटक दल सपा ने सनातन पाण्डेय को उतारा है।

सनातन पाण्डेय भी मतदाताओं से संवाद में दावा कर रहे हैं कि चन्द्रशेखर की समाजवादी विचारधारा को लेकर चलने वाले हम ही हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियों द्वारा इस चुनावी जंग में चन्द्रशेखर को लेकर राजनीतिक रूप से किए जा रहे दावे जनता के गले उतरते हैं कि नहीं।

पंकज

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