बलिया : कोरोना प्रोटोकॉल संग लगेगा ददरी मेला

– 22 से 29 नवंबर तक पशु मेला, 7 दिसंबर तक मीना बाजार लगेगा
बलिया (हि. स.)। ऐतिहासिक ददरी मेले के आयोजन को लेकर संशय के बादल छंट गए। जिला प्रशासन ने मेले की तैयारियों पर अधिकारियों व वहां मौजूद सभासदों संग चर्चा में यह तय किया है कि 22 से 29 नवंबर तक पशु मेला लगेगा। वहीं 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान तथा उसके बाद 6 या 7 दिसंबर तक मीना बाजार मेला का आयोजन होगा।
जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि दीपावली के बाद भूमि पूजन का कार्यक्रम होगा। कार्तिक पूर्णिमा स्नान को देखते हुए जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को तमाम जिम्मेदारियां सौंपी। उन्होंने कहा कि जगह-जगह बैरिकेडिंग, सुगम रास्ते की व्यवस्था साफ-सफाई व अन्य व्यवस्था को बेहतर बनाए रखना है। किसी भी हाल में उस दिन श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आज (शुक्रवार) को सुबह 9 बजे सभी अधिकारी कार्तिक पूर्णिमा स्नान वाले रास्ते पर पहुंचकर अपनी व्यवस्था के संबंध में स्थलीय निरीक्षण करेंगे। साथ ही तत्काल काम भी शुरू करा देंगे।
उन्होंने कहा कि मेले में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा। अगर होगा भी तो किसी ऐसे अन्य स्थल पर, जहां शारीरिक दूरी का पालन कराने की जिम्मेदारी आयोजक ले सकें। इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सिर्फ पारंपरिक गतिविधियां ही की जा सकेंगी।
संत समागम से लोकमेला तक का सफर
गंगा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए महर्षि भृगु ने सरयू नदी की जलधारा को अयोध्या से अपने शिष्य दर्दर मुनि के द्वारा बलिया में संगम कराया। उसके बाद दर्दर मुनि के 88 हजार ऋषि-मुनियों को जुटाकर सन्त-समागम कराया था। कार्तिक पूर्णिमा स्नान एवं ददरी मेला भी उसी समय से है। चीनी यात्री फाह्यान ने भी अपनी पुस्तक में ददरी मेले का जिक्र किया है। मेला लोक आस्था का महापर्व माना जाता है। मेले में जानवरों की खरीद-बिक्री भी होती है। इसके साथ ही अखिल भारतीय स्तर का कवि सम्मेलन, मुशायरा, कुश्ती प्रतियोगिता, चेतक प्रतियोगिता के साथ ही विभिन्न खेल आयोजन होते हैं। हालांकि, इस बार सांस्कृतिक आयोजन नहीं होने से लोगों में मायूसी रहेगी।

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