बलिया और गाजीपुर में भाजपा व बसपा ने अबतक नहीं खोले पत्ते
लखनऊ (हि.स.)। पूर्वांचल की बलिया और गाजीपुर में उम्मीदवारों को लेकर उहापोह बना हुआ है। गाजीपुर में सपा ने तो अफजाल अंसारी को मैदान में उतार दिया है, लेकिन भाजपा और बसपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसी स्थिति में लोग उहापोह की स्थिति में बने हुए हैं।
गाजीपुर की करें तो भाजपा की नजर में यह हाट सीट है। यहां से पिछली बार मनोज को बहुजन समाज पार्टी के अफजाल अंसारी ने 1,19,392 मतों से पराजित कर दिया था। अफजाल अंसारी को 5,66,082 मत पाये थे। वहीं मनोज सिन्हा को 4,46,690 वोट मिले थे। वहीं सुहेलदेव समाज पार्टी के प्रत्याशी रामजी ने भी 33,877 वोट पाये थे, जबकि कांग्रेस पार्टी के अजीत प्रताप कुशवाहा को 19,834 मत मिले थे। इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ भाजपा का गठबंधन है। वहीं 2014 की बात करें तो 3,06,929 मत पाकर मनोज सिन्हा समाजवादी पार्टी के शिवकन्या कुशवाहा को 32,452 मतों से हराया था। बहुजन समाज पार्टी के कैलाशनाथ यादव को 2,41,645 वोट पाये थे। 2014 की अपेक्षा 2019 में मनोज सिन्हा के वोट में 1,39, 761 मत ज्यादा मिले थे। इसके बावजूद उन्हें 1,19,392 मतों से परास्त होना पड़ा था।
अभी मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं। उनके लड़के अभिनव सिन्हा के गाजीपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा है। उधर दूसरी तरफ अफजाल अंसारी को सपा से टिकट मिल चुका है। वे प्रचार अभियान भी तेज कर चुके थे। इसी बीच उनका भाई माफिया डान मुख्तार की जेल में मौत हो गयी। इससे अफजाल का दबदबा कम होने का अंदेशा जताया जा रहा है, लेकिन सहानुभूति वोट बढ़ सकता है।
दूसरी तरफ बलिया लोकसभा सीट से भी बसपा, सपा और भाजपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। इससे संभावित प्रत्याशियों के दौरे भी कम हो गये हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो पिछली बार वहां 53.51 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहां पर भाजपा के वीरेन्द्र सिंह मस्त ने सपा के सनातन पांडेय को मात्र 15,519 मतों से परास्त किया था। कई विधानसभाओं में वीरेन्द्र सिंह मस्त हार गये थे, अंत में किसी तरह उनको जीत मिली। वीरेन्द्र सिंह मस्त को 4,69,114 मत मिले थे। वहीं सनातन को 4,53,595 मत मिले थे। इस बार बलिया से भाजपा और सपा के कई दावेदार हैं, लेकिन अब तक किसी भी प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं हुआ है।
उपेन्द्र/बृजनंदन