बरसाने की तर्ज पर महोबा के नकरा में होती है लट्ठमार होली
महोबा (हि.स.)। जनपद के नकरा गांव में आज भी बरसाने की तर्ज पर लट्ठमार होली खेलने की परंपरा कायम है। इसी परंपरा को जीवंत रखते हुए महिलाएं चेहरे में घूंघट और हाथ में लाठियां लेकर पुरुषों से मुकाबला करते हुए नजर आईं। लट्ठमार होली के रंगों में बूढ़े और बच्चे सभी सराबोर हुए हैं।
वृंदावन के गांव बरसाने की तर्ज पर लट्ठमार होली का त्योहार बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा जनपद के पनवाड़ी विकासखंड के गांव नकरा में वर्षों से पुरानी परंपरा चली आ रही है।
शनिवार को गांव की महिलाओं ने चेहरे पर घूंघट ले हाथों में लट्ठ लेकर नारी शक्ति का एहसास कराते हुए पुरुषों के साथ लट्ठमार मुकाबला किया है। जहां पुरुष भी हाथों में लाठी लेकर महिलाओं के प्रहार से बचने का प्रयास करते हुए नजर आये हैं। इस अनूठी होली की परंपरा को देखने के लिए पड़ोसी जनपद हमीरपुर समेत जिले के तमाम गांव के लोग शामिल हुए और पूरा गांव में रंग गुलाल में सराबोर नजर आया है।
ग्रामीण वृंदावन राजपूत, शिवचरण दीक्षित,खेमराज और जगत सिंह राजपूत ने जानकारी देते बताया कि हर्ष और उत्साह के साथ हर वर्ष यहां अनूठी होली खेली जाती है। इसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन भी किया जाता है।
एक सप्ताह पूर्व शुरू हो जाती है तैयारी
नकरा गांव की महिलाएं सुषमा रानी हल्की भाई और सिया रानी ने बताया कि यहां पर प्राचीन समय से ही लट्ठमार होली की परंपरा की रक्षा महिलायें करतीं चलीं आ रहीं हैं। वह होली के एक सप्ताह पहले से ही तैयारी करने में जुट जातीं हैं। सभी महिलाएं पुरुष एक दूसरे का सहयोग करते हैं और प्रेम और हर्षोल्लास के साथ पावन पर्व मनाते हैं। यहां की अनूठी परंपरा को परिस्थितियां विचलित नहीं कर पाईं हैं और यह आज भी कायम है।
यहां लट्ठमार होली बंद होने का लोगों को है मलाल
जनपद में इसी तरह खंगर्रा गांव में भी पहले लट्ठमार होली खेली जाती थी। लेकिन आज के दौर में लोगों में बैमनस्यता बढ़ती जा रही है। जिसके कारण लोगों में आपसी मन मुटाव और मतभेद के कारण यहां पर लट्ठमार होली की परंपरा बंद हो गई है। इसका मलाल यहां के लोगों में देखने को मिलता है। पहले हजारों में संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग यहां लट्ठमार होली का आनंद लेने के लिए पहुंचते थे।
उपेंद्र/दीपक/राजेश